गौधन के प्रति श्रद्धा प्रकट के लिए ही दिपावाली के अगले दिन गौवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गौ माता की पूजा कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि सभी को गौवंश की पूजा के साथ उनका संरक्षण व संवर्धन करना चाहिए। गौमाता में सभी देवी देवताओं का वास है। गाय को हरा चारा खिलाने से ग्रह दोष भी दूर होते हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने लगातार हो रही मूसलाधार वष्रा से ब्रजवासियों को बचाने के लिए सात दिनों तक अपनी उंगली पर गोवर्घन पर्वत उठाए रखा। गौवर्धन पर्वत के नीचे समस्त ब्रजवासी मूसलाधार बारिश से सुरक्षित रहे। सातवें दिन भगवान कृष्ण गौवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी को गौवर्धन पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाने की आज्ञा दी। इसके बाद से गौवर्धन पूजा की परंपरा आरम्भ हुई। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति में मनाए जाने वाले सभी पवरे का प्रकृति से गहरा नाता है। इसलिए सभी को प्रकृति का संरक्षण करने में योगदान करना चाहिए।