किस्मता मि तो ऐंल आई, तू तो पैलिये अगेछें
बागेश्वर। पहाड़ी में एक कहावत है- किस्मता मि तो ऐंल आई, तू तो पैलिये अगेछें।
ये कहावत फिट बैठती हैं राजेंद्र सिंह ग्राम लेटी पर जो लाकडाउन में गुजरात से नौकरी गवाकर जैसे तैसे गाँव पहुंचे उम्मीद थी कुछ समय बाद सब ठीक हो जायेगा परन्तु लाकडाउन बढ़ता गया। बेवसी कहिए या मजबूत इच्छाशक्ति गाँव में बंजर भूमि में हाड़तोड़ मेहनत कर फसल तैयार कि परन्तु जंगली सुअरो ने सब बर्बाद कर दिया। मजबूत इच्छाशक्ति से एक बार फिर ईष्ट मित्रों से कर्जा लेकर बकरी पालन का काम किया सोचा कुछ दिन बाद सब ठीक हो जायेगा कर्जा उतारकर घर का खर्चा चलेगा लेकिन अनहोनी ऐसी हुई कि 2 बकरी को बाघ ने अपना निवाला बना दिया बिभाग में सम्पर्क किया तो बोलते हैं मृत बकरियों के साथ राजेंद्र सिंह कि फोटो खींचकर आदि कागजो के साथ लाओ परन्तु बकरियों को तो बाघ ले गया था तो फोटो कहा से खींचते खाली छाती मलते रह गए। कहते हैं एक गरीब के लिए आशा ही अमरधन हैं समय बिता अब सोचा क्यों ना मुर्गी पालन कर घर का खर्चा चलाया जाय तो एक काम चलाऊ मुर्गी का घर (छाना) बनाया
(काम चलाऊ इसलिए कि मनरेगा में मुर्गीबाड़ा उसी को मिलेगा जिसका नाम secc डाटा या बीपीएल क्रमांक में नाम होगा राजेंद्र सिंह जैसे जरूरतमंदो को नहीं मिलेगा )और 12-15 मुर्गी के बच्चे पाली गयी 6माह का समय हुआ ही था मुर्गीया बड़ी हो गयी थी 3-4 मुर्गीया बेच भी थी अब पुराना समय भूल ही गए थे कि कल रात में तेंदुआ जाली फाड़कर छाना में घुस गया और 5-6 मुर्गीया मार दी और कुछ को घायल कर दिया।
सिस्टम का फिर वही हाल फोटो लाओ वाला।
इस तरह एक मजबूत इच्छाशक्ति भी सिस्टम के आगे घुटने टेकने को मजबूर हो जाती हैं। सिस्टम चाहे मुआवजा कि हो या मनरेगा में मुर्गीबाड़ा लेने कि हो।
चुनाव में बड़े बड़े लोग मदद का भरोसा देने पहुंचे लेकिन मदद आज तक नहीं पहुंची। अब ऐसे में लोग पलायन नहीं करेंगे तो क्या करेंगे
उत्तराखंड में इस प्रकार मजबूत इच्छाशक्ति सिस्टम के आगे घुटने न टेके इसके लिए सरकार को क़ृषि नीति में सुधार लाने के साथ सिस्टम को ठीक करना ही होगा। लेटी के नज़दीक के ही स्कूल में शिक्षक व सामाजिक सरोकारो से संबंध रखने वाले प्रेम प्रकाश उपाध्याय’नेचुरल’ ने जब ग्राम प्रधान से बच्चो को पढ़ाई व अन्य विषय पर बात की तो गोविंद दयाराकोटी जी ने गावो से पलायन का दर्द सामने रखा। आखिर कब अपना राज्य होने की आम जन को अनुभूति होगी?, खुदा जाने? .