G-KBRGW2NTQN कलियर में भीख मांगकर गुजर कर रहा मासूम निकला करोड़पति – Devbhoomi Samvad

कलियर में भीख मांगकर गुजर कर रहा मासूम निकला करोड़पति

दादा ने अपनी आधी संपत्ति की थी अपने लापता पोते के नाम

कलियर पहुंचे एक रिश्तेदार ने बच्चे को पहचाना, बच्चे के मिलने पर परिजन हुए खुश

पिरान कलियर। कहते हैं कि ऊपर वाला जब भी देता है, छप्पड़ फाड़ कर देता है और जब किस्मत बदलती है तो रातों-रात आम इंसान भी खास बन जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ एक 12 साल के मासूम बच्चे के साथ जो चाय की दुकानों पर झूठे बर्तन धोकर दो वक्त की रोटी का इंतजाम करता था, और कभी-कभी भीख मांगने पर भी मजबूर हो जाता था, वह बच्चा करोड़पति निकला। दरअसल करीब चार साल पहले बच्चे की माँ उसे अपने साथ लेकर ससुराल से चली आई थी, लॉकडाउन के समय माँ की मौत हो जाने पर बच्चा लावारिस हालात में जिंदगी गुजार रहा था जिस पर दूर के एक रिश्तेदार की नजर पड़ी और उसने उस बच्चे को पहचान लिया, फिर क्या था, जानकारी जुटाने पर मालूम हुआ कि बच्चे के दादा ने अपनी आधी संपत्ति लापता पोते के नाम की हुई है। जब बच्चे के मिलने की जानकारी परिजनों को दी गई तो उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा। ये माजरा है पिरान कलियर का, जहा एक लावारिस बच्चा एक पल में ही करोड़ो का वारिस बन गया। लापता बच्चे को पाकर परिजनों में खुशी का माहौल है।

ऐसे मिला बिछड़ा हुआ परिवार
लावारिस मासूम अक्सर पिरान कलियर निवासी मुनव्वर अली के घर आता रहता था, सर्दी शुरू होने पर वहीं सो भी जाया करता था। बुधवार की रात्रि मुनव्वर अली के घर पर आये एक रिश्तेदार मोबीन अली ने वहां मौजूद बच्चे से बात की तो उसने बताया कि वह सहारनपुर रहने वाला है और उनके मां बाप मर चुके हैं पूछने पर जब बच्चे ने अपने मां और बाप का नाम बताया तो मोबीन अहमद फौरन अपने मोबाइल में उस बच्चे का फोटो देखा तो यह वही बच्चा निकला जिसे 4 वषोर्ं से ढूंढने में पूरा परिवार लगा हुआ था मोबीन अहमद ने बिना कोई देरी किये बच्चे की बुआ ओर परिवार अन्य सदस्यों को बच्चे के मिलने की जानकारी दी और परिवार के लोगों की खुशी का ठिकाना नही रहा।

ऐसे की जिंदगी बसर
12 साल का मासूम शाहजेब अली कोरोना कॉल में अपनी माँ इमराना को खो चुका था, माँ करीब 4 साल पहले बेटे शाहजेब को लेकर पिरान कलियर आ गई थी, जिसकी परिजनों ने काफी तलाश की लेकिन उसका कुछ पता नही चल सका। माँ के जाने के बाद शाहजेब लावारिस जिंदगी जी रहा था, चाय व अन्य दुकानों पर काम करने के साथ-साथ दो वक्त की रोटी के लिए लोगों के आगे हाथ भी फैलाने को मजबूर हो जाता था।

ऐसे छाया था जिंदगी में अंधेरा
सहारनपुर के एक गांव से कुछ साल पहले अपने लगभग 8 साल के बेटे को लेकर घर से निकल आई मां से गलती हुई तो बेटे को डराया और बताया कि घर वापस गए तो परिवार वाले बख्शेंगे नहीं। कम उम्र होने के चलते बेटे के मन में यह बात बैठ गई है और कोरोना कॉल में मां इसी डर के साथ बेटे को छोड़कर दुनिया को अलविदा कह गई। तब से बेटा लावारिस स्तिथि में पिरान कलियर में अपनी जिंदगी गुजारता रहा था।

दादा ने किया इंसाफ तो बन गई बात
घर से पत्नी सहित बेटे के गायब होने के सदमे में पिता ने दम तोड़ दिया। लेकिन सरकारी शिक्षक रह चुके दादा ने बेटे के बाद उसकी निशानी को ढूंढने को बहुत जद्दोजहद की, पर सफलता नही मिली। यहां तक कि दादा भी चल बसे। अलबत्ता दुनिया से जाते जाते वह पोते के साथ इंसाफ कर गए और अपनी आधी मिल्कियत का मालिक मासूम लापता पोते और आधी जायदाद दूसरे बेटे के नाम कर गये। दादा ने अपनी वसीयत में लिखा कि जब कभी भी मेरा पोता वापस आता है तो आधी जायदाद उसे सौंप दी जाए।

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