G-KBRGW2NTQN कोरोना काल में उत्तराखंड सरकार का दिव्यांगों के प्रति रवैया निंदनीयः धीरेंद्र प्रताप – Devbhoomi Samvad

कोरोना काल में उत्तराखंड सरकार का दिव्यांगों के प्रति रवैया निंदनीयः धीरेंद्र प्रताप

देहरादूून। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व दर्जाधारी मंत्री धीरेंद्र प्रताप ने ऐसे समय मे जब कोरोना वायरस के कारण देश के लाखो दिव्योंगों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे समय में उत्तराखंड सरकार द्वारा यहां रह रहे दिव्यांगों की 3 महीने की पेंशन को काट कर उसमें से भी मात्र 2 महीने की पेंशन दिए जाने और उसमें भी एक हजार की राशि को घटाकर 500 कर दिए जाने को दिव्यांग भाइयों के साथ क्रूर मजाक बताया है।
  राज्य सरकार के इस फैसले को बहुत ही अमानवीय और अनैतिक बताते हुए धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री नीलम सीतारमण ने कोरोना के चलते मार्च  माह के अतिम सप्ताह में देशभर के दिव्यांगों को 3 महीने तक के लिए एक 1000 की इमदाद स्वरूप सहायता राशि देने का ऐलान किया था परंतु उत्तराखंड में राज्य सरकार इसमें भी डाका डालने में बाज नहीं आई और उन्होंने विकलांगता का पैमाना  80 प्रतिशत विकलांगता बताकर, ऐसे बहुत से दिव्यांगो की जिनके पास रोटी खाने तक के लिए पैसे नहीं है। उनकी सहायता राशि काट दी। धीरेन्द्र  प्रताप ने कहा किपहले तो उन्हें पहले महीने में 1000 की जगह मात्र 500 दिए और अब जो 500 भी 3 महीने के लिए मिलने थे उसमें भी यह कह दिया कि 2 महीने के बाद अब यह पैसे उन्हें नहीं दिए जाएंगे। उन्होंने कहा जब दिव्यांगों को मदद देने का फैसला केंद्र सरकार  का फैसला है तो राज्य के समाज कल्याण विभाग को यह फैसला नहीं लेना चाहिए था। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से आग्रह किया है कि वह दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा करें और समाज कल्याण मंत्रालय को निर्देश दे कि वे भगवान के मारे दिव्यांगों पर सरकार की महा मार ना करें और उन्हें केंद्र की नीति के अनुसार प्रतिमाह 3 महीने तक घ्5000 की राशि सहायता  राशि के रूप में निर्गत करने का कष्ट करें ।उन्होंने कहा एक और प्रधानमंत्री जनकल्याण के नाम पर 2000000 करोड रुपए के पैकेज की बात कर रहे हैं और उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के राज में जूतों में दाल बंट रही है। उन्होंने इसे अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सरकार से अपने रवैए में सुधार करते  हुए दिव्यांगों को फौरी तौर पर प्रति मास कम से कम 5000 की सरकारी सहायता दिए जाने की मांग की।

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