जल्द पहाड़ों में पर्यटन की रीढ़ बनेगी रेल यात्रा
देहरादून। पहाड़ पर रेल का सपना ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के निर्माण के साथ ही साकार होने लगा हैैै। साथ ही चार धामों का आपस में जोड़ने की योजना के तहत अब केंद्र सरकार की मंशा गंगोत्री और यमुनोत्री धाम को भी रेल लाइन से जोड़ने की है। इसके लिए रेल मंत्रालय ने रेल विकास निगम को हरी झंडी दे दी है। रेल विकास निगम ने दो साल विस्तृत सर्वे कराने के बाद लगभग 20 हजार 500 करोड़ रुपए की गंगोत्री-यमुनोत्री रेल लाइन की डीपीआर तैयार करके केंद्र को भेज दी है। केंद्र द्वारा मंजूरी मिलते ही इस रेल लाइन पर काम शुरू हो जाएगा जिससे उत्तराखंड में विकास की एक नई धारा बहेगी। साथ ही चार धाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को आवागमन के लिए भारतीय रेल की सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी।
हालांकि अभी इस परियोजना को शुरू होने के साथ ही बनने में भी काफी समय लगेगा। लेकिन भविष्य के लिए चारों धामों का भारतीय रेल से जुड़ना विकास की एक नई इबारत लिखेगा। निगम के परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि 121.5 किमी लंबी इस रेल परियोजना में कुल दस स्टेशन होंगे, जो डोईवाला से शुरू होते हुए बड़कोट में समाप्त होंगे। परियोजना में उत्तरकाशी का मातली स्थित स्टेशन सबसे बड़ा नौ लाइन का होगा और अंतिम स्टेशन बड़कोट 5 लाइन का और बाकी आठ स्टेशन तीन लाइन के प्रस्तावित हैं। गंगोत्री-यमुनोत्री रेल लाइन एक ऐसे क्षेत्र को आपस में जोड़ेगी, जहां आवागमन की सुविधाएं बेहतर नहीं हैं। साथ ही कठिन और लंबा सड़क मार्ग यात्रियों के लिए आए दिन मुसीबत का सबब बनता रहता है। ऐसे में रेल लाइन से जुड़ना यात्रा के लिए एक मिसाल बनेगा। ऋषिकेश डोईवाला के बीच स्तिथ भानियावाला गंगोत्री-यमुनोत्री रेल लाइन का पहला स्टेशन बनेगा और आखरी स्टेशन के रूप में बड़कोट का चयन किया गया है। 122 किलोमीटर लंबी रेल लाइन मे 10 स्टेशन होंगे और यह रेल लाइन 25 सुरंग से गुजरेगी। पहला स्टेशन भानियावाला, दूसरा रानीपोखरी, तीसरा जाजल, पांचवा कंडीसौड, छटा सरोट, सातवां चिन्यालीसौड़, आठवां ढूंढा, नवा उत्तरकाशी मातली और दसवां और अंतिम स्टेशन बड़कोट होगा।