एक सितंबर से 17 सितंबर तक रहेंगे पितृपक्ष
देहरादून। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक के काल को पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। मंगलवार यानि एक सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। इस बार पितृ पक्ष एक सितंबर से शुरु होकर 17 सितंबर तक चलेंगे। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा धरती पर आती है और अपने परिजनों के साथ रहती है। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर अपने पितरों को मृत्यु चक्र से मुक्त कर उन्हे मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है। पितृपक्ष में हिन्दू अपने पितरों को श्रद्धाजंलि देते हैं, जिसमें मुख्य रूप से अपने पितरों को याद करते हुए खाना अर्पित किया जाता है। श्राद्ध कर वर्तमान पीढ़ी अपने पूर्वजों और मृत रिश्तेदारों के प्रति अपने ऋ ण को चुकाते है। हिंदू धर्म में ऋषियों द्वारा वर्ष के एक पक्ष को पितृपक्ष का नाम दिया गया है। जिस पक्ष में हम अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण, मुक्ति के लिए हेतु विशेष क्रिया संपन्न कर उन्हें अध्र्य समर्पित करते हैं। पंडित धीरेंद्र पांडेय ने बताया कि इस बार पितृ पक्ष एक सितंबर से पूर्णिमा श्राद्ध से शुरु हो रहे है। पूर्णिमा तिथि पर पितरों को उनके वंशजों द्वारा तर्पण एवं श्राद्ध दिया जाएगा। इसके साथ ही पितृपक्ष प्रारंभ हो जाएगा। श्राद्ध कर्म पूर्ण विास, श्रद्धा व उत्साह के साथ करना चाहिए। इससे पितृों तक हमारा दान ही नहीं हमारे भाव भी पहुंचते हैं।
मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितृ देवता पृथ्वी लोक का भ्रमण करते हैं। इन दिनों में हरिद्वार, गया, उज्जैन, इलाहाबाद, जैसे धार्मिक स्थलों पर पिंडदान किया जाता है। इन धर्म स्थलों पर तर्पण करने से पितृ देवता तृप्त होते हैं। श्राद्ध वह कर्म है जिससे पितरों की तृप्ति के लिए भोजन दिया जाता है। पिंडदान और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। जिस तिथि पर परिवार के व्यक्ति की मृत्यु हुई है, उसी तिथि पर उस व्यक्ति के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने से व्यक्ति को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे घर में सुख शांति और समृद्वि बनी रहती है।
श्राद्ध की तिथियां-
एक सितंबर – पूर्णिमा श्राद्ध
दो व तीन सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध
चार सितंबर – द्वितीया श्राद्ध
पांच सितंबर- तृतीया श्राद्ध
छह सितंबर- चतुर्थी श्राद्ध
सात सितंबर -पंचमी श्राद्ध
़आठ सितंबर – षष्ठ श्राद्ध
नौ सितंबर- सप्तमी श्राद्ध
.10 सितंबर -अष्टमी श्राद्ध
11 सितंबर – नवमी श्राद्ध
12 सितंबर- दशमी श्राद्ध
13 सितंबर – एकादशी श्राद्ध
14 सितंबर- द्वादसी श्राद्ध
15 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध
16 सितंबर- चतुर्दशी श्राद्ध
17 सितंबर- अमावस्या व सर्व पितृ श्राद्ध