G-KBRGW2NTQN सौर भूतेर मंदिर में भटके मन को मिलती है शांति – Devbhoomi Samvad

सौर भूतेर मंदिर में भटके मन को मिलती है शांति

किसी प्रकार की अप्रिय घटना से पहले सौर भूतनाथ आवाज लगाकर करते हैं ग्रामीणों को सचेत

ऊखीमठ। देवभूमि उत्तराखंड के पग-पग पर विराजमान हर तीर्थ व घाटी की विशिष्ट पहचान युगयुगान्तर से रही है, मगर केदारखण्ड के अन्तर्गत क्यूंजा घाटी के हिल स्टेशन भणज से लगभग चार किमी दूर अपार वन सम्पदा के मध्य विराजमान सौर भुतेर तीर्थ की महिमा का गुणगान जितनी की जाय, उतनी कम है। यहां पहुंचने पर भटके मन को अपार शान्ति मिलती है। सौर भूतनाथ क्यूंजा घाटी के ग्रामीणों के कुल देवता, ईष्ट देवता व भूम्याल देवता के रूप में पूजित हैं। संस्.त महाविद्यालय बसुकेदार के पूर्व प्रधानाचार्य जगदम्बा प्रसाद नौटियाल की पुस्तक श्री तुंगेरयहात्यम के अनुसार यह स्थान भगवान तुंगनाथ की क्रीड़ा भूमि मानी गई है। इस भूमि से तुंगनाथ जी का अत्यधिक लगाव रहा है, जिन्होंने प्रसन्नता पूर्वक यह स्थान अपने प्रतिष्ठावान वीर भद्ररूप भूतनाथ को समर्पित किया है।
लोक मान्यताओं के अनुसार शंकराचार्य जी ने इस तीर्थ का नाम रखा। उस समय पर मार्कण्डेय नामक ऋषि ने सौरभूत की उस धरा पर आकर भगवान सूर्य की तप साधना की। वास्तव में सौर का शाब्दिक अर्थ कालवाचक है, जिसे सूर्य के एक उदय से दूसरे उदयकाल तक के समय को कहते हैं तथा दूसरा अर्थ सूर्य का उपासक अथवा भक्त कहा गया है। इससे पूर्ण प्रतीत होता है कि इस स्थान का नाम तब से सौर ही प्रचलित हुआ है। सौर भूतेर तीर्थ के निकट अखोडी गांव में आज भी यदि किसी प्रकार की अप्रिय घटना घटती है तो सौर भूतनाथ आवाज लगाकर ग्रामीणों को सचेत कर देते हैं। सौर भूतनाथ तीर्थ के ऊपरी हिस्से में विराजमान विशाल पर्वत पर तीन जलधाराएं प्रवाहित होने से उस स्थान को त्रिवेणी नाम से जाना जाता है।
रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग से बांसवाडा हिल स्टेशन से बांसवाडा-मोहनखाल मोटर मार्ग पर भणज हिल स्टेशन तक बस, टैक्सी या निजी वाहन से पहुंचने के बाद सौर भुतेर तीर्थ पहुंचने के लिए मचकण्डी गांव होते हुए चार किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है या फिर भणज-अखोडी चार किमी निजी वाहन से अखोडी गांव पहुंचने के बाद अखोडी गांव से तीन किमी दूरी तय करने बाद सौर भूतनाथ तीर्थ पहुंचा जा सकता है। पण्डित बच्ची राम नौटियाल, दिवाकर प्रसाद नौटियाल, आशुतोष प्रसाद नौटियाल, अरूण प्रसाद नौटियाल बताते हैं कि सौर भूतनाथ तीर्थ में हर श्रद्धालु को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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