किराये के भवनों में संचालित हो रहे हैं आयुव्रेदिक चिकित्सालय
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जनपद में आयुव्रेदिक एवं यूनानी चिकित्सा विभाग में डॉक्टरों का टोटा बना हुआ है। स्वी.त 36 डॉक्टरों के सापेक्ष सिर्फ 16 ही कार्यरत हैं। जबकि 20 पद लंबे समय से रिक्त हैं, जिस कारण ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिला मुख्यालय में विभाग का संचालन किराए के कमरों पर चल रहा है।
जिले में आयुव्रेदिक एवं यूनानी चिकित्सा के 33 केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिसमें डॉक्टरों के 36 पद स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन वर्तमान में 20 पद रिक्त हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन फाम्रेसिस्ट के भरोसे चल रहा है। इन हालातों में दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र के जरूरतमंदों को कई बार बुखार की दवा तक नसीब नहीं हो पा रही है, जिस कारण उन्हें सीएचसी व जिला चिकित्सालय की दौड़ लगानी पड़ रही है। यहीं नहीं, विभाग में फाम्रेसिस्ट के भी 35 में से 6 पद खाली पड़े हैं। हालत इस कदर है कि जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में भी विभाग का संचालन किराए के कमरों पर चल रहा है। जिले में पचास फीसदी आयुव्रेदिक एवं यूनानी स्वास्थ्य केंद्र किराए के भवनों पर चल रहे हैं, जिनकी हालत दयनीय बनी है। विभागीय स्तर पर डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ के लिए आवासीय व्यवस्था के साथ चिकित्सालय भवन निर्माण के लिए प्रतिवर्ष प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि कोराना काल में आयुव्रेदिक चिकित्सकों द्वारा नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। जिला आयुव्रेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ राजीव वर्मा का कहना है कि डॉक्टर व फाम्रेसिस्ट के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए निदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया है। जिला मुख्यालय में इस वर्ष के आखिर तक विभाग को अपना भवन मिल जाएगा। अन्य किराए पर संचालित स्वास्थ्य केंद्रों के भवन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।