भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष का जोरदार हंगामा
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा सत्र के तीसरे दिन की भी कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई. घोटाले के मुद्दे पर सदन में विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधायकों ने जमकर हंगामा काटा। विधानसभा में बुधवार को कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के औद्योगिक सलाहकार की कंपनी द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार का मामला उठाया, जिसे लेकर सदन में कुछ देर विपक्ष ने शोर-शराबा किया। हालांकि पहले विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा की इजाजत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि जो मामला कोर्ट में उस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती । विपक्ष ने नियम 310 के तहत भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर चर्चा की मांग की थी लेकिन बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 58 के तहत काजी निजामुद्दीन के मामले को सुनने की बात कही। नियम 58 में हुई चर्चा में काजी निजामुद्दीन ने सीएम के औद्योगिक सलाहकार का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी कंपनी पर फर्जी दस्तावेज के जरिये 180 करोड़ से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। इससे पहले, काजी निजामुद्दीन ने कहा कि मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार की कंपनी के जरिए कथित भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसटीएफ) भी बनाया गया लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई।उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है क्योंकि सीएम के करीबी पर गंभीर आरोप लगा है।
सदन में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि बीजेपी के दो विधायकों ने भी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया। वहीं कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के मामले पर सदन में बात ही नहीं करना चाहती है। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने उन्हें इस मामले को बाद में उठाने को कहा। काजी के समर्थन में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्र्दयेश सहित अन्य कांग्रेस सदस्य भी खड़े हो गए। डॉ. इंदिरा ह्र्दयेश ने आरोप लगाया कि यह सरकार ‘‘जीरो टॉलरेंस‘‘ की बात करती है लेकिन भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ रहे हैं जिनपर चर्चा होनी चाहिए। कुछ देर इस मामले को लेकर सदन में शोर-शराबे की स्थिति बनी रही, जिसके बाद अध्यक्ष अग्रवाल ने विपक्ष से इस मुद्दे पर बाद में चर्चा करने को कहा।