हरदा ने दिया नसिर्ंग प्रशिक्षतों को समर्थन, सीएम व सीएस से हस्तक्षेप की मांग
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने प्रशिक्षित नसिर्ंग छात्र छात्राओं के लिए राज्य सरकार द्वारा लगाई गई अव्यवहारिक शतोर्ं को हटाने के लिये आज मुख्य सचिव से वार्ता की। उन्होंने मुख्य सचिव से उक्त शतरे को हटाने को कहा है। आज अपने निवास पर केदारनाथ के विधायक मनोज रावत के नेतृत्व में नसिर्ंग प्रशिक्षकों के एक प्रतिमंडल ने उनसे भेंट की। विधायक मनोज रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री को बताया कि उत्तराखंड नसिर्ंग सेवा नियमावली 2020 के तहत लगभग 1200 स्टाफ नर्स भर्ती में एक वर्ष का तीस बेड के अस्पताल का अनुभव व फार्म 16 की बेतुकी शर्त रखी गई है। जबकि सर्वविदित है कि पहाड में तीस बेड का अस्पताल तो मात्र मैदान के भी कुछ ही क्षेत्रों में ही है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को कहा की इसने नसिर्ंग कौंसिल की आड़ लेकर प्रशिक्षतों को नियुक्तियों से वंचित करने की साजिश की जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री से प्रशिक्षकों के प्रतिमंडल में अजय नौटियाल ,मुकेश कोठियाल, यामिनी नेगी,मनीषा अधिकारी, नेहा भट्ट ,शुभांगी ,नंदन कोरंगा ,ज्योति नाथ व निकिता रावत सहित दर्जनो प्रशिक्षित नर्स थ़े। रावत ने सोशल मीडिया से भी प्रशिक्षित नसरे की पीड़ा का बखान किया है। उन्होंने लिखा है कि बड़ी लंबी प्रतीक्षा के बाद उत्तराखंड में बमुश्किल नसिर्ंग के कुछ पद भरे जाने का समाचार आया। राज्य में हमने नसिर्ंग के कालेज खोलने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और हमारे बच्चों ने भी हमें निराश नहीं किया। कोरोना महामारी के दौरान यही बच्चे थे जो जिन्होंने अच्छा काम किया। जब सरकार ने पदों का विज्ञापन जारी किया, तो एक शर्त नीचे लगा दी कि जिन लोगों ने 30 बैड के हस्पिटल में 1 साल तक काम किया है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि उत्तराखंडी और उत्तराखंड के 8 जिले तो पूरी तरीके से आउट आफ बांड हो जाएंगे। वहां जो बच्चे नसिर्ंग की ट्रेनिंग कर रहे हैं, उनके लिये आगे कोई संभावना नहीं रहेगी और बाकी 4 जिलों में भी कुछ ही अस्पताल हैं, जिनमें 30 बैड व उसके उपर के अस्पताल हैं। इससे नसिर्ंग जैसे अहम पदों पर भी फिर वही समस्या पैदा होगी।