ग्रीष्मकालीन राजधानी के ढांचागत विकास की कवायद शुरू
गोपेर। ग्रीष्मकालीन राजधानी के ढांचागत विकास की कवायद के तहत उत्तराखंड शासन के सचिव दीपेंद्र चौधरी समेत आला अधिकारियों ने भराड़ीसैंण पहुंच कर जायजा लिया। शनिवार को उत्तराखंड शासन के सचिव दीपेंद्र चौधरी, अपर सचिव आशीष चौधरी समेत शासन के अधिकारी भराड़ीसैंण पहुंचे। भराड़ीसैंण पहुंच कर अधिकारियों ने ग्रीष्मकालीन राजधानी के ढांचागत विकास का जायजा लिया। इस दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी के लिए जगह जगह जमीनों का अवलोकन भी किया। राजस्व विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों से उन्होने ढांचागत विकास पर चर्चा की। खासकर जमीनों की स्थिति की विस्तार से जानकारी हासिल की। बताया जा रहा है कि भराड़ीसैंण में ही 3 हेलीपैड बनाए जाने हैं। हालांकि दो पर काम शुरू हो गया है। इसके लिए 0.495 हेक्टेयर करीब 25 नाली जमीन उपलब्ध कराई गई है। राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री जैसे अतिविशिष्ट लोगों के आने पर 3 हेलीपैडों की जरूरत होगी। इसलिए अभी से हेलीपैडों के विकास पर जोर दिया जाने लगा है। सचिवालय के लिए भी भूमि की उपलब्धता पर चर्चा की गई। अन्य तमाम प्रतिष्ठानों को विकसित करने के लिए भूमि की उपलब्धता पर भी भराड़ीसैंण में ही मंथन किया गया। गैरसैंण के एसडीएम कौस्तुभ मिश्र ने बताया कि ग्रीष्मकालीन राजधानी के लिए सरकार ने ढांचागत विकास पर जोर दिया है। इसी के चलते सचिव समेत तमाम आला अधिकारियों ने भराड़ीसैंण पहुंच कर धरातलीय स्थिति को जायजा लिया। उनका कहना था कि इस दौरान विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारी भी मौजूद रहे। इस तरह गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में विकसित करने की कवायद ने जोर पकड़ लिया है। वैसे भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के विकास के लिए 25 हजार करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है। ऐसे माना जा रहा है कि अब सरकार का पूरा फोकस गैरसैंण राजधानी परिक्षेत्र को विकसित करने पर रहेगा। आला अधिकारियों की भराड़ीसैंण से लेकर गैरसैंण तक दस्तक को इसी रूप में देखा जा रहा है।