देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल के प्रवक्ता विजय कुमार बौड़ाई ने उत्तराखंड राज्य में वृहद वन क्षेत्र होने को कारण बताते हुये ग्रीन बोनस की मांग की है। उन्होंने कहा कि ज्यादा वन क्षेत्र के इसके चलते हमेशा यहां का विकास प्रभावित रहा है, जिसके लिए वषोर्ं से राज्य ग्रीन बोनस की मांग करते रहा है। अपनी अपार वन संपदा के साथ उत्तराखंड हवा को साफ कर देश के आक्सीजन टैंक की तरह काम करता है। वन, नदियां, हिमाच्छादित चोटियां झीलें और झरने उत्तराखंड की ताकत और आकषर्ण हैं। लेकिन यही ताकत उसकी तरक्की की राह में एक बड़ी चुनौती भी है। विकास और पर्यावरण के बीच सीमित संसाधन वाले राज्य के लिए धन की दरकार है। नदियों की हिफाजत करते हुए तरक्की की राह चुनने के लिए विकास के लिए एक अलग माडल की आवश्यकता है। यह तभी संभव है जब केंद्र सरकार उदार मन से वित्तीय सहायता प्रदान करें। विकास की योजनाएं भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप बने ताकि राज्य का समुचित विकास हो सके। पर्यावरण संरक्षण की बहुत बड़ी जिम्मेदारी उत्तराखंड उठा रहा है, लेकिन इस दायित्व की पूर्ति के लिए राज्य को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। 71 फीसदी से ज्यादा वनभाग होने के कारण विकास योजनाओं पर वन कानून का एक ओर जहां कड़ा पहरा है। वहीं दूसरी ओर वन्यजीवों का खौफ भी है। बावजूद इसके जल जंगल का संरक्षण यहां की प्राथमिकता रही है। ऐसे में पर्यावरणीय सेवाओं को सहेजने के लिए उठानी पड़ रही क्षति की पूर्ति के लिए राज्य को ग्रीन बोनस मिलना चाहिए। पिछले वर्ष भाजपा सरकार ने बड़े जोर शोर से हिमालयन कांक्लेव का भी आयोजन किया गया, लेकिन वह मात्र सम्मेलन तक सीमित रह गया। वास्तविकता बहुत दूर रह गई। न तो कोई बोनस मिला और ना ही कोई आर्थिक सहायता, जबकि दोनों जगह भाजपा की सरकार है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने डबल इंजन की सरकार की बात की, लेकिन जहां आर्थिक सहायता या ग्रीन बोनस की बात हो तो उत्तराखंड राज्य के हाथ खाली रहे। उत्तराखंड क्रांति दल ने बजट को लेकर केंद्र सरकार से इसकी मांग की है।