मोह माया में फंसे साधुओं को अखाड़े से करेंगे बाहर
हरिद्वार। संन्यास परंपरा के श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने ऐलान किया है कि जो भी संत घर परिवार से रिश्ता रखे हुए हैं या फिर गृहस्थ जीवन जी रहे हैं, उन्हें अब अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि संन्यास परंपरा में आने के बाद संत का पुनर्जन्म होता है। संत अपना घर, परिवार और माता-पिता समेत मोहमाया त्याग देते हैं। इसलिए संत बनने के बाद दोबारा गृहस्थ जीवन में लौटना या फिर घर परिवार व अन्य परिवारजनों से रिश्ता रखना संन्यास परपंरा के खिलाफ है। निरंजनी अखाड़े के सभी संतों ने एकमत से ये फैसला किया है। ऐसा करने वाले संतों को अखाडे से बाहर किया जाएगा.बता दें कि संन्यास परंपरा के सात अखाड़े हैं। इनमें प्रमुख जूना, निरंजनी, अग्नि, आह्वान, महानिर्वाणी और अटल आनंद हैं. इन सभी अखाड़ों में लाखों की संख्या में नागा संन्यासी और संत हैं।