देहरादून। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वनाधिकार आंदोलन के प्रणोता किशोर उपाध्याय ने बढ़ती वनाग्नि की घटनाओं के बीच कहा कि उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचाने का एक ही रास्ता है कि स्थानीय समुदायों को उनके वनाधिकारों व पुश्तैनी हक-हकूकों की बहाली हो। उन्होंने कहा कि पहले भी जंगलों में आग लगती थी लेकिन तब स्थानीय लोग जंगलों को अपना समझते थे और उन्हें बचाने के लिए खुद की पहल पर आग बुझाने में जुट जाते थे। लेकिन जब से जंगलों से लोगों का अधिकार खत्म हुआ उनके पारंपरिक अधिकार छीन लिए गए और उनके लिए जंगल से जलावन की लकड़ी और अन्य वनोपज लेना प्रतिबंधित हुआ लोगों का जंगलों से लगाव भी खत्म हो गया। अगर उत्तराखंड सरकार को अब जंगलों को बचाना है तो वह वनाधिकार दे। वनाधिकार ही उत्तराखंड के जंगलों को बचाने की गारण्टी है। किशोर उपाध्याय ने जंगलों में फैली विकराल आग में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रदेश सरकार से मांग की कि वह दिवंगत के परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी व परिवार को 25 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति तुरंत दे।