मनोज रावत ने कोविड के उपचार को लेकर सीएम से लगायी गुहार
देहरादून। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने अपने जिले के कोरोना मरीजों की परेशानी को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने रखा है। उन्होंने अस्पतालों के लेबल निर्धारण से मरीजों को हो रही कठिनाइयोें का समाधान किये जाने की मांग की है। उन्होंने देहरादून, ऋषिकेश व श्रीनगर में रुद्रप्रयाग के गंभीर मरीजों के लिए बेड आरक्षित करने की मांग की है। कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को लिखे पत्र में कहा है कि कोविड में इलाज के लिए अस्पतालों को एल1, एल2, एल-3, एल-4 लेवल में बांटा गया है। रुद्रप्रयाग में एल-1 अस्पताल अगस्त्यमुनि का स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स था। जबकि एल-2 कोटेर स्थित कोविड अस्पताल है। मरीज की हालात गंभीर है तो उसे एल-3 अस्पताल यानि श्रीनगर मेडिकल कालेज भेजा जाएगा। अधिक दिक्कत होने पर वहां के आगे देहरादून के कुछ अस्पताल जिनमें मेडिकल कालेज हैं एल-4 श्रेणी के अस्पताल हैं। उन्होंने कहा है कि रुद्रप्रयाग का कोटेर कोविड अस्पताल केवल साधारण कोविड मरीजों की देखभाल ही कर सकता है। वहां ऐनेस्थीसिया याने बेहोशी की डाक्टर न होने के कारण आईसीयू नहीं चल पा रहे हैं। क्योंकि वेंटिलेटर केवल एनेस्थेस्टिक ही चला सकते हैं। उन्होंने लिखा है कि रुद्रप्रयाग में केवल उन कोविड मरीजों का इलाज हो सकता है जो साधारण लक्षणों वाले हैं, जिनको अन्य गंभीर रोग नहीं हैं और केवल आक्सीजन व साधारण दवाओं से ठीक हो सकते हैं। रावत ने कहा है कि रुद्रप्रयाग का सबसे नजदीकी एल-4 अस्पताल श्रीनगर है, लेकिन वो रुद्रप्रयाग के खराब हालत वाले मरीजों को नहीं ले रहा है। उन्होंने यह भी शिकायत की है कि देहरादून व ऋषिकेश के अस्पताल रुद्रप्रयाग के मरीजों को ले नहीं रहे हैं, जिससे कोरोना संक्रमितों व उनके परिजनोंके सामने बहुत ही दयनीय स्थिति हो गयी है। रावत ने कहा है कि रुद्रप्रयाग के मरीज तड़फ-तड़फ कर दम तोड़ रहे हैं। हमारे डाक्टर सुविधाओं के अभाव में असहाय होकर अपने मरीजों को मरते देख रहे हैं। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री इस बेबस पहाड़ी जिले रुद्रप्रया पर भी अपनी कृपा दृष्टि रखें। श्रीनगर सहित देहरादून व ऋषिकेश के सभी बड़े अस्पतालों में रुद्रप्रयाग के लिए बेड व आईसीयू बेड आरक्षित करें। उनहोंने कहा है कि सरकार रुद्रप्रयाग में एनेस्थीसियनभेजें । श्रीनगर मेडिकल कालेज के डाक्टरों को हरिद्वार न भेजें और जो भेजे गए हैं उन्हें वापस बुलाएं, क्योंकि पर्वतीय क्षेत्र में कोरोना के बढ़ते मरीजों को देखते हुए डाक्टरों की बहुत जरूरत है।