G-KBRGW2NTQN सर्वे सन्तु निरामयाः –यज्ञ – आहूति से भी लड़ी जा रही है कोरोना के खिलाफ जंग. – Devbhoomi Samvad

सर्वे सन्तु निरामयाः –यज्ञ – आहूति से भी लड़ी जा रही है कोरोना के खिलाफ जंग.

सारा विश्व कोरोना महामारी के चपेट में है। धरती त्राहिमाम-त्राहिमाम है।आकाश असमंजस में है कि आखिर नीचे हो क्या रहा है। वैज्ञानिक ,विशेषज्ञ, चिकित्सक, वायोरोलॉजिस्ट,चिन्तक सभी इसको समझने का प्रयास तो कर रहे है पर पूरी तरह समझने में अभी समय लगता है। तब तक सैकड़ो लोग अपनी जीवन की जंग हार चुके होंगे। कितना बुरा लगता है किसी की मदद करना चाहो भी तो नही कर सकते। लेकिन सभी को अपने – अपने हिस्से की लड़ाई तो लड़नी पड़ेगी। हाथ पर हाथ धरकर भी तो नही बैठा जा सकता। भारत इस समय अपने सबसे कठिन दौर। से गुज़र रहा है। विदेशी भी भौगोलिक सीमाओं को तोड़ते हुए मदद का हाथ आगे बढ़ा रहे है। विज्ञान के साथ -साथ हमारी पारंपरिक पूजा पद्धति, उपासना, विश्वास, पौराणिक ज्ञान, वैदिक ज्ञान,अनुभव भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है। 14 मई अक्षय तृतीया और संक्रांति के शुभ अवसर के दिन प्रातः काल वैदिक ब्राह्मणों के द्वारा आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित श्री त्रिपुरा देवी मंदिर ,त्रिपुरा देवी तहसील- बेरीनाग , ज़िला- पिथोरागढ़, उत्तराखंड जहाँ श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती स्वरूपा भगवती त्रिपुर सुन्दरी विग्रह पिण्डी के रूप में प्रतिष्ठित हैं ऐसे दिव्य अलौकिक स्थान पर वातावरण की शुद्धि के लिए विशेष कर कोरोना महामारी के शमन के लिए माँ आदि शक्ति की वैदिक विधि से पूजा के उपरांत दुर्गा सप्तति के मंत्रोच्चारण सहित महामारी से निजात पाने के लिए दुर्गा सप्तति के 12वें अध्याय में वर्णित महामारी से संबंधित मंत्रो

व्याप्तं तयैतत्सकलं ब्रह्माण्डं मनुजेश्वर । महाकाल्या महाकाले महामारीस्वरूपया ।।38।। सैव काले महामारी सैव सृष्टिर्भवत्यजा। स्थितिं करोति भूतानां सैव काले सनातनी ।।39। ।का जप पाठ व हवन, यज्ञ किया गया। और साथ ही सभी निरोगी रहे इस उद्देश्य से माता जी प्रार्थना कर “सर्वे सन्तु निरामयाः “की कामना की गई ।
अमेरिकन निवासी व श्री श्री माँ आनंदमयी की भक्त मर्सी रोमानो के आवाहन पर खेती निवासी संस्कृतचार्य व शिक्षक संतोष उपाध्याय ने इस यज्ञ-हवन का आयोजन किया। इस अवसर पर माँ त्रिपुरा शक्ति से सभी के निरोग व जल्द स्वस्थ कोने की सार्वजनिक प्रार्थना की गयी। होम यज्ञ में गाय का घी, तिल,जौ,वेद की मिट्टी,दूध, दही, शहद, छिलुके (जल्दी जलने वाली चीड़ की लकड़ी जिसमे लीसा, रेजिन होता है), नारियल इत्यदि चीजो का सम्मिश्रण किया जाता है। आंतरिक व वाह्य रासायनिक अभिक्रिया से जहाँ आस-पास विषैली गैसों का प्रसार कम होता है क्योंकि भारी कण नीचे बैठ जाते है और प्राणवायु ऑक्सिजन के मात्रा में गुणात्मक वृद्धि हो जाती है। हवन, यज्ञ की जहाँ आध्यात्मिक मान है वही इसके वैज्ञानिक प्रभावों की अनदेखी नही की जा सकती है।
समाज मे कोरोना से बचाव व लोंगो को जागरूक करने में जुटे श्री प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’ ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त कर सराहना की है।
यज्ञ -हवन में आहुति देने वाले सात यजमानों में प्रकाश चंद्र उपाध्याय, ललित मोहन उपाध्याय,सुनील, राजेन्द्र, राजेश,बसंत बल्लभ सहित मंदिर के पुजारी राजू उपाध्याय मौजूद रहे।

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