देहरादून। प्रदेश में ब्लैक फंगस की दवा एंफोटेरिसिन बी की कालाबाजारी न हो सके इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने दवा का नियंतण्रअपने हाथ में ले लिया है। दवा केवल कोविड अस्पतालों, मेडीकल कालेजों और सरकार की अन्य चिकित्सीय संस्थाओं को ही उपलब कराई जाएगी। शासन ने इसके लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है। सचिव स्वास्थ्य पंकज पांडेय की ओर से जारी एसओपी के अनुसार ब्लैक फंगस की दवा का वितरण एक अलग व्यवस्था के तहत होगा। प्रदेश में दवा के भंडारण और मांग की पूर्ति के लिए कुमाऊं मंडल में डा. रश्मि पंत और गढ़वाल मंडळ में डा. कैलाश गुनियाल को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इसी तरह अस्पतालों और अन्य संस्थाओं को कहा गया है कि वे दवा की मांग के बारे में दून मेडिकल कालेज के डा. नारायणजीत सिंह और कुमाऊं में हल्द्वानी में सुशीला तिवायी मेडिकल कालेज के डर. एसआर सक्सेना से संपर्क करेंगे। इसके लिए अस्पतालों को बकायदा फार्म भर कर दवा की मांग करनी होगी। जिसमें मरीजों का विवरण दिया जाएगा। कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकने के लिए दवा का उपयोग करने वाले अस्पतालों से कहा गया कि वे दवा की खाली शीशियों को जमा कराएंगे। दवा का अगर उपयोग नहीं होता है तो वह वापस करनी होगी। दवा की मांग भी दिन में दो बार की जा सकती है। एसओपी में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने पर चिंता जताई गई है और कहा गया है कि यह रोग कोविड-19 के संक्रमण में साथ-साथ उभर कर सामने आ रहा है। ऐसे में इस रोग की दवा का उचित इस्तेमाल किया जाना जरूरी है। इससे पहले ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए गठित समित ने भी अपने सुझाव सरकार को सौंपते हुए रोग के नियंतण्रके लिए पूरी तैयारी का सुझाव दिया था।