देहरादून। ट्रांसफर सत्र को शून्य करने के शासन के निर्णय को राजकीय शिक्षक संघ ने चुनौती दी है। संघ ने आरोप लगाया है कि शिक्षकों के साथ ट्रांसफर के मामले में अन्याय हुआ है और इसको लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। साथ श्रेणी के शिक्षकों का स्थानान्तरण करने के लिए सीएम से आग्रह किया किया गया है। संघ की ओर से प्रांतीय महासचिव डा. सोहन सिंह माजिला ने पत्र में लिखा है कि उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 प्रदेश में लागू हुए 5 वर्ष हो गये हैं, लेकिन आज तक इस एक्ट को इसकी मूल भावनाओं के अनुरूप लागू नहीं किया जा सका है। उन्होंने सिस्टम पर सीधा आरोप लगाया है कि एक्ट की धारा-27 के तहत अब तक हजारों की संख्या में स्थानान्तरण हो चुके हैं लेकिन यह दुख का विषय है कि जरूरतमंद राजकीय माध्यमिक शिक्षकों के धारा-27 के स्थानान्तरण नवम्बर 2020 से लम्बित हैं। शिक्षक नेता माजिला ने यह भी कहा है कि अतिदुर्गम एंव दुर्गम विद्यालयों में 15-20 वर्षो से कार्यरत शिक्षक विगत 5 वषोर्ं से स्थानान्तरण की प्रतीक्षा में हैं। ऐसी परिस्थति में वर्तमान सत्र को शून्य करने के आदेश से शिक्षकों में भारी निराशा है। उन्होंने सीएम रावत से अनुरोध किया है कि स्थानान्तरण सत्र शून्य घोषित होने के बाद भी एक्ट में वर्णित निम्न अनुरोध श्रेणी के स्थानान्तरण प्रत्येक दशा में किये जाएं। इसमें उन्होंने सात श्रेणी के शिक्षकों को उल्लेख किया है। इन सातों में गम्भीर बीमारी, दुर्गम विद्यालयों में 10 वर्ष की सेवा पूर्ण चुके शिक्षक, सरकारी सेवा में कार्यरत पति पत्नी (अंतर मण्डलीय सहित), दुर्गम से दुर्गम तथा सुगम से दुर्गम, पारस्परिक तबादले, विधवा-विधुर, तलाकशुदा एवं परित्यक्ता शिक्षिकाएं तथा सातवें नंबर पर वरिष्ठ शिक्षकों को नियम-27 में स्थानान्तरित करने की मांग की है। माजिला ने उम्मीद जतायी है कि मुख्यमंत्री इसमें काउंसलिंग के तबादले करने के लिए अधीनस्थों को निर्देशित करेंगे।