लोगों को योग,ध्यान से जागरूक कर मिसाल कायम कर रहे है —प्रेम
कठिन समय में ही आदमी के सही और गलत होने का पता चलता है। वरना विपत्ति में छाया भी साथ छोड़ देती हैं वाली ये कहावत महामारी के समय में देखी जा सकती हैं।
जहा आज पूरी मानव जाति के अस्तित्व पर संकट के बादल मडराकर मौत की बारिश कर रहे है वही दूसरी और समाज में इन चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर लोगो के दुःख तकलीफों को कम करने वाले भी कम नही है।कोरोना महामारी से उत्तराखंड के प्रवासी लोग बहुतायत में घरों को लौट रहे है।जहाँ एक ओर इनको घर पहुचने की खुशी है वही ये बीमारी को भी साथ लाने से गांव, मुहल्ले,कस्बे में भी कोरोना के दूसरी लहर के फैलने की आशंका बराबर बनी रहती हैं। वैसे तो अधिकांश लोग प्राथमिक चिकित्सा परीक्षण से ही गुज़र कर पंचायत भवनों,प्राथमिक विद्यालयों एवं इंटर कॉलेजों, बारात घरो, होटलों में होम और संस्थागत क्वेरनटाइन किये गए हैं। हताशा और निराशा से घिरे इन लोगों को मदद की जरूरत हैं। हमारे साथ क्या जो हो रहा है ? कि भावना इन लोगो में दिन – प्रतिदिन घर करते जा रही है। अवसाद से इस समय इनको बाहर निकालने की सख्त जरूरत है। सरकार जहा अपनी ओर से इनको रोज़गार, राशन और आश्वासन दे रही है, लेकिन वक़्त की मांग इन्हें इससे से अधिक निकट से ही एक भरोसा, विश्वास दिलाने की आवश्यकता है। ये काम गांव जनपद पिथोरागढ़ के तहसील बेरीनाग के ग्राम पंचायत-खेती, राई- आगर निवासी प्रेम प्रकाश उपाध्याय उर्फ ‘नेचुरल’ कर रहे हैं। पेशे से शिक्षक व एक सामाजिक प्रहरी एवं लेखक ने ये जिम्मेदारी उठा रखी हैं।
भले ही प्रवासियों के हाल- चाल जानना हो उनकी आसल – कुसल लेनी हो, उनके साथ हल्की – फुल्की ठिठौली करनी हो,प्रातःकाल ही उनको योग,ध्यान व प्राणायाम कराना हो, सभापति ईश्वर कठायत के साथ ही उनके खाने – पीने ,रहने की व्यस्था हो इत्यादि कर प्रेम एक मिसाल कायम कर रहे हैं।ग्राम सभा मंतोली, पभ्या, गुरेना, भण्डारी गांव, जाडापनी, खाती, बना आदि गॉंव में तकरीब हज़ार से भी ज्यादा लोगो घरो में ही क्वेरनटाइन है। पंचायत भवन मंतोली के पवन सिंह जो 10 सालो से भी अधिक तमिलनाडु के एक होटल में काम करते है का कहना है उन्हें इन केंद्रों में पर्याप्त सुविधा मिल रही है और अपनी भविष्य की योजना बताते हुए कहते कि अब वे गांव में ही कोई छोटी से दुकान खोलने की सोच रहे है।
विक्की, संजू, जीवन जो इसी केंद्र में क्वेरनटाइन है प्रातः कालीन योग, व ध्यान को लेकर बहुत खुश है।पहाड़ की ताजा हवा, ठंडा पानी इन लोगो को रोजगार तो नही दे पा रही है लेकिन अपनी मेहनत मजदूरी कर अब ये गांव में ही रहना चाहते हैं।
प्राथमिक विद्यालय खेती के नारायण सिंह ,मन्नू, दिनेश उपाध्याय, कमला देवी, मनोज इत्यदि प्रेरित होकर स्कूल की काया कल्प करने में जुट गए है।स्कूल में ही साफ सफ़ाई, विभिन्न तरकारियों, फूलो को लगाकर नित्य देखभाल कर रहे है।पूछने पर समय अच्छे ढंग से गुजरने के लिए वे उत्पादक कार्य कर ये लोग अपनी खाली समय की ऊर्जा का सद्पयोग कर रहे है।
प्रेम इसके साथ ही कोरोना रोग से बचने की तरीके, सावधानियां रखने एवं आरोग्य सेतु ऐप्प भी डाउनलोड करने,टीका लगाने को जागरूकता फैला रहे है।
गॉंव को सैनिटाइज कर, साफ सफाई का ध्यान रखने, पोषणयुक्त भोजन लेने को भी प्रेरित करते जा रहे है। आज इन्हें भेदभाव की नही बल्कि देखभाल की जरुरत है।
आज उत्तरखंड की एक चौथाई से भी ज्यादा आबादी रोज़ी – रोटी के जुगाड़ में घर से बाहर है।विपदा की इस घड़ी में इनको मदद कर हम इसे एक अवसर के रूप में परिवर्तित कर सकते है। सरकार की ओर से रिवर्स माइग्रेशन जैसे शब्द भी उछाले जा रहे है।इन्ही को सजाने,संवारने का मौका है जिससे एक बार हम पुनः गावो , खेतों, खलिहानों, तोको , सेरो, बगडू को आबाद कर आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत कर सकते है।