ऋषि विहार न गांव रहा, न नगर निगम का हिस्सा
उपेक्षा से आहत नागरिकों ने नेताओं को याद दिलाए वादे
देहरादून। नगर निगम में शामिल किए जाने के बाद ऋषि विहार मेहुवाला के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। रविवार को ऋषि विहार आवासीय समिति की बैठक में लोगों का यह दर्द खूब छलका। नगर निगम के क्षेत्र विस्तार के समय लोगों को जो सपना दिखाया गया था, वह आज बुरी तरह बिखर गया है। स्थिति यह है कि गांव के स्तर पर जो सुविधाएं मिल सकती थी, वह भी छिन गई हैं जबकि तमगा नगर निगम का लगा हुआ है।
ऋषि विहार आवासीय समिति की आज हुई बैठक में वक्ताओं ने नेताओं के वादों को न सिर्फ याद किया बल्कि उनके पूरे न होने पर कोसा भी। ऋषि विहार में बिजली, पानी, सड़क, सीवर, आवारा पशु, सुअर जैसी तमाम समस्याओं पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने सरकारी विभागों द्वारा दिखाए गए सब्जबाग का उल्लेख भी किया।
हाल में विश्व बैंक की पेयजल परियोजना की स्थापना के समय भरोसा दिया गया था कि पानी के अलग अलग ओवरहेड टैंक बनेंगे लेकिन अफसरों ने वादा तो नहीं निभाया बल्कि पुराने टैंक से नई लाइन जोड़ दी। दूसरे पानी के बिलों का वितरण बंद हो गया। अब कहा जा रहा है कि उपभोक्ता खुद दफ्तर से संपर्क कर अपना बिल बनवाएं और उसके बाद अदा करें। यानी उपभोक्ता के अधिकार और सेवा का अधिकार सब ताक पर है। विडंबना यह है कि आधे ऋषि विहार में वसंत विहार फीडर से और आधे में प्रेमनगर फीडर से बिजली आपूर्ति होती है। यह समस्या भी नागरिकों की ओर से प्रमुखता से उठाई गई।
ऋषि विहार के आईटीबीपी की ओर से एकमात्र प्रवेश मार्ग के संकरा होने, विधायक द्वारा चार साल पहले सड़क के किनारे के नाले को पाट कर सड़क को चौड़ा करने के वादे पर भी बैठक में चर्चा हुई। चार साल बाद भी वादा न निभाए जाने पर अफसोस जताया गया। क्षेत्र की बंद पड़ी नालियों को खोलने के नाम पर हो रही औपचारिकता पर भी लोगों ने नाराजगी जताई।
आवारा जानवरों की सैरगाह बने ऋषि विहार को मुक्त करने का मुद्दा भी बैठक में उठा। इसके अलावा एक सभा गृह यानी कम्यूनिटी सेंटर की स्थापना की मांग भी उठी। बहुत संभव है आगामी चुनाव में लोगों की यह समस्याएं मुद्दा बन सकती हैं।
सदस्यों ने नगर निगम द्वारा बरती जा रही उपेक्षा पर गहरी नाराजगी भी जताई, जगह जगह उग आई घास की अन्य क्षेत्रों में सफाई की जा रही है। डेंगू की रोकथाम के लिए फॉगिंग न होने, सड़क की दशा जैसे तमाम मुद्दों को लेकर नागरिक जल्दी ही संबंधित अफसरों और नेताओं से मिलेंगे। बैठक में एक बात यह साफ हुई कि लोग अब हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेंगे बल्कि वक्त आने पर अपने हिस्से को लेकर रहेंगे।