देहरादून। मुख्य सचिव डा.एसएस संधु की अध्यक्षता में गुरुवार को सचिवालय में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कार्यकारी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान, मुख्य सचिव ने कहा कि किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सुनिश्चित बाजार उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिए कि किसानों को सुनिश्चित बाजार उपलब्ध कराए जाने की दिशा में हर संभव प्रयास किए जाएं। मुख्य सचिव ने कहा कि भौगोलिक परिस्थितियों के बदलाव के कारण अन्य प्रदेशों के द्वारा विकसित बीजों की सफलता की संभावना कम होती है। फसलों की नई वैरायटी विकसित करने के लिए प्रदेश स्तर पर ही प्रयास किए जाएं। उन्होंने दालों, पोषक अनाजों और तिलहन की खेती को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किए जाने के भी निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य के बहुत से उत्पाद बाय-डिफल्ट अग्रेनिक हैं, हमें इनकी मार्केटिंग पर ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्य को जैविक प्रदेश के रूप में विकसित करने के लिए छोटे-छोटे क्षेत्रों में रासायनिक कीटनाशकों को प्रतिबंधित करते हुए, इसकी शुरूआत करनी होगी। उन्होंने कहा कि किसी ब्लाक या छोटे क्षेत्र को अग्रेनिक एरिया घोषित करने पर शुरुआत में उत्पादन में कमी आ सकती है, किसानों को अग्रेनिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से स्पोर्ट किया जाए। मुख्य सचिव ने योजना के तहत वितरित स्ट्र रीपर के आउटकम पर अध्ययन कराए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यदि स्ट्र रीपर का वितरण सफल रहा है तो इनकी संख्या बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि अच्छी योजनाओं के लिए फंड की कमी नहीं होने दी जाएगी। इन योजनाओं पर आवश्यकता पड़ने पर राज्य सरकार से भी फंड उपलब्ध कराया जाएगा। बैठक में बताया गया कि योजना के तहत चिन्हित जनपदों में चावल, गेहूं , मोटे अनाज, पोषक अनाज, तिलहन और गन्ने के उत्पादन को क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता को बढ़ावा देने के साथ ही इंडिविजुअल फर्म लेवल पर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के लिए यह योजना लागू की गयी है। उत्तराखंड राज्य ने कैटेगरी-2 में 2011-12, 2016-17 और 2017-18 के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त किया है। इस अवसर पर सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।