G-KBRGW2NTQN डेढ़ दशक बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी लस्तर वाया नहर योजना – Devbhoomi Samvad

डेढ़ दशक बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी लस्तर वाया नहर योजना

 पौने तीन करोड़ खर्च करने के बाद भी कागजों में सिमटी योजना
रुद्रप्रयाग। जखोली ब्लॉक के सिलगढ़, बडमा व बांगर क्षेत्र के पचास गांवों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बनी लस्तर वाया नहर योजना डेढ़ दशक बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी। योजना के लिए शासन द्वारा स्वी.त नौ करोड़ के सापेक्ष सिंचाई विभाग ने पौने तीन करोड़ खर्च करने के बाद योजना कागजों में ही सिमट कर रह गई। योजना के खरीदे गए करोडों के पाइप मोटरमार्ग के किनारे अंतिम सांसे ले रहे रहे हैं। जिससे क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों में खासा रोष बना हुआ है। हालांकि शासन स्तर से पूर्व में जांच कमेटी भी बनाई गई, लेकिन जांच अभी तक सार्वजनिक नहीं हो सकी।
विधान सभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय दलों के साथ अन्य दल के प्रत्याशी जनता की तमाम समस्याओं को लेकर आासन तो देते हैं, लेकिन विधानसभा पहुंचने के बाद समस्याएं हल नहीं हो पाती हैं। ऐसे एक मुददा जखोली विकासखंड का भी है। जखोली में हरित क्रांति लाने के उददेश्य से वर्ष 2006-07 में सिंचाई सुविधा के लिए लस्तर वाया नहर योजना को लगभग साढे नौ करोड़ की स्वी.ति मिली थी। वर्ष 2012 में सिंचाई विभाग ने योजना का निर्माण शुरू करने के लिए पौने तीन करोड़ रूपए के पाइप भी खरीदे, लेकिन नौ वर्षो बाद भी योजना पर काम शुरू नहीं हो पाया। लगभग 26 किमी लंबी सिंचाई नहर से सिलगढ़ व बड़मा के चोपड़ा, कुरछोला, नागधारकोट, पूर्वियाणा, तैला, जखनोली, टाट पाली, जैली, कंडाली, कुमडी, मुसाढुंग, जखनोली, जखोली, सिद्धसौड़ बड़मा, थाती, मुन्ना देवल, चाका फलाटी सहित 50 गांवों को लाभ मिलना था। योजना की निर्माण के लिए 2 करोड़ 80 लाख में खरीदे गए पाइप व अन्य सामग्री गैंठाणा, धारकुडी, कोट सड़क किनारे जंक खा रहे हैं। जो सरकारी धन का दुरूपयोग मात्र है। उक्त योजना को शुरू करवाने के लिए कई बार शासन-प्रशासन, विभाग एवं मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
हालांकि पिछले वर्ष जनवरी माह में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत ने लस्तर वाया सिंचाई नहर का संज्ञान लेते हुए सचिव स्तरीय जांच के आदेश दिए थे। अनियमितताओं की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया था। जांच होने के एक वर्ष बाद भी अभी तक जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी है और तथा जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो सकी है। क्षेपंस सिरवाडी पुष्पा रौथाण ने बताया कि डेढ़ दशक पूर्व स्वी.त लस्तर वाया नहर का निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो सका है, जिससे क्षेत्रीय लोगों में खासा रोष बना हुआ है। इस संबंध में पूर्व में कई शासन-प्रशासन एवं डीएम को भी अवगत कराया गया, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। क्षेपंस जखवाड़ी पुनीता देवी ने बताया कि लस्तर वाया नहर के लिए खरीदे गए करोडों रूपए के पाइप सड़क किनारे जंख खाने को मजबूर हैं, लेकिन सिंचाई विभाग की ओर से कोई कवायद अभी तक नहीं की गई है। यह तो मात्र सरकारी धन का दुरूप्रयोग मात्र है। वहीं मामले में जिलाधिकारी मनुज गोयल ने कहा कि लस्तर बांया नहर योजना को लेकर जल्द ही कार्यवाही की जायेगी, जिससे ग्रामीणों को सिंचाई का लाभ मिल सके।

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