G-KBRGW2NTQN जंगलों की आग पर काबू को सेना, अर्धसैनिक बलो, एसडीआरएफ आदि की मदद ले वन विभाग: सुधांशु – Devbhoomi Samvad

जंगलों की आग पर काबू को सेना, अर्धसैनिक बलो, एसडीआरएफ आदि की मदद ले वन विभाग: सुधांशु

विकराल होती वनाग्नि को लेकर शासन व वन विभाग अब और अलर्ट 
देहरादून। विकराल होती वनाग्नि को लेकर शासन व वन विभाग अब और अलर्ट हो गया है। प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए सेना, अर्धसैनिक बल, एसडीआरएफ आदि की मदद लेने को कहा है।  वन विभाग व जिलाधिकारियों को निर्देश के बाद प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने गढ़वाल व कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षकों को निर्देश जारी किए हैं। आरके सुधांशु का कहना है कि सिविल वन पंचायत एवं कई आरक्षित वनों में वनाग्नि घटनाओं का मुख्य कारण (तेज हवाओं कारण) वनों से सटी हुई कृषि भूमि में पराली (आडा) जलाने से पाया गया है।  ग्रामीणों कृषि भूमि में पराली (आडा) जलाने की कार्यवाही को रोकने एवं इस सम्बन्ध में  अपील व प्रचार-प्रसार कराने की आवश्यकता है पर वन विभाग की कार्यवाही  पर्याप्त नहीं है। क्रू-स्टेशनों में के नियमित कर्मी व फायर वाचर लगाए गए हैं परन्तु सिविल – वन पंचायत क्षेत्रों में स्थान प्रशासन, एसडीआरएफ, आपदा क्यूआरटी की मदद लेनी चाहिए ताकि जंगलों की आबादी वालें क्षेत्र तक न फैले एवं घरों, गौशाला आदि में जानमाल की क्षति न हो।आग पर लगाम को सेना व अर्ध सैनिक बलों की मदद ली जाए।  प्रभागीय वनाधिकारियों को अनटाइड फण्ड , एसडीएमएप आवश्यकतानुसार धनराशि उपलब्ध करायी जाये।  अग्नि प्रबन्धन के लिए राजस्व विभाग के नियंत्राणाधीन पटवारी चौकियों को वनाग्नि काल तक क्रू स्टेशनों में परिवर्तित किया जाए तथा राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, चिकित्सा, लोक निर्माण विभाग वन पंचायत प्रबन्धन आदि अन्य विभागों से वन विभाग का समन्वय स्थापित किया जाये।  जिला स्तरीय समिति, खण्ड विकास स्तरीय समिति एवं वन पंचायत स्तरीय समिति को दिये गये दायित्वों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करते हुए आवश्यक कार्यवाही सम्पादित की जाये। सिविल सोयम एवं राजस्व वनों के अन्तर्गत वनागि नियंतण्रव प्रबन्धन हेतु राजस्व विभाग, ग्राम प्रधानों एवं स्थानीय ग्रामीणों की भूमिका निर्धारित करते हुए उनका सक्रिय सहयोग प्राप्त किया जाये। इसके बाद अनूप मलिक ने गढ़वाल व कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षकों को कहा है कि
। जिन इलाकों में वनाग्नि की घटनाएं कम हुई हैं वहां से रेंजरों को उन संवेदनशील व अति संवेदनशील वन प्रभागों में अस्थायी रूप से तैनात किया जाए जहां जंगलों में ज्यादा आग लग रही है। इतना ही नहीं जंगलों में आग लगाने वाले शरारती तत्वों के विरुद्ध एसएसपी या सपी से संपर्क कर तुरंत मुकदमा दर्ज किया जाए। बिजली की पारेषण लाइनों की भी जांच की जाए ताकि उनकी वजह से आग न लगे। यही नही सभी डीएफओ को संबंधित जिलाधिकारियों से संपर्क कर जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समिति की बैठके कर आग की रोकथाम की कोशिश की जाए। संवेदनशील क्रू स्टेशनों में भी फायर वाचरों व अन्य संसाधनों की अतिरिक्त व्यवस्था की जाए और जरूरत होने पर किराए के वाहन भी लिए जाएं और फायर वाचरों को सुरक्षा के लिए अग्निरोधी कपड़े मुहैया कराए जाए।
दरअसल इस बार प्रदेश में सामान्य से तीन से पांच सेल्सियस तापमान ज्यादा है। इस कारण जंगलों में नमी कम हो गई है और आग लगने की घटनाएं ज्यादा हो रही है। वनाग्नि की घटनाएं भी नौ पहाड़ी जिलों अल्मोड़ा, बागेर, चमोली, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी और चंपावत में ही ज्यादा हो रही है।

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