G-KBRGW2NTQN अवतरण जैसी अलौकिक है योगी की कहानी  – Devbhoomi Samvad

अवतरण जैसी अलौकिक है योगी की कहानी 

जब घर पहुंचे थे तो योगी रूप में मांगी थी मां से भिक्षा 
दूर आसमान को निहारती नजरे और आत्मविास भरे कदम ऐसा प्रतीत होता है कि यही योगी अब देश के भाग्य विधाता बनेगें मंगलवार को यमकेर के पंचचूर में वर्षो बाद पहुंचे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की भी एक अलौकिक करने वाली कहानी अपने आप में भविष्य की गवाह बनेगी। उत्तराखंड यूं तो अविभाजित उत्तर प्रदेश में भी उत्तर प्रदेश का नेतृत्व करने का गवाह रहा है, पर जब वर्तमान दौर की बात आती है। तो अब पहाड़ की पारखी नजरे लखनऊ के सिंहासन पर है। त्याग की प्रतिमूर्ति बने अजय बिष्ट आज योगी आदित्यनाथ के नाम से जाने जाते हैं। इन क़दमों की आहट ऐसी जो निर्भीक व राष्ट्र प्रेमी की जरूरत में एक अवतरण जैसी अलौकिक करने वाली कहानी है। जो अब उत्तर प्रदेश में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ की है। जहां देश का बच्चा-बच्चा भी योगी को जान चुके हैं और वह दिन दूर नहीं जब वह भारत के भाग्य विधाता शीर्ष व्यक्ति के रूप में सबके सम्मुख होंगे।
सन् उन्नीस सौ सत्तर के दशक में विकास खण्ड यमकेर के कोटद्वार दुगड्डा काण्डी ऋषिकेश मोटरमार्ग पर लगभग पचास किलोमीटर दूर अवस्थित पन्चूर गांव में वनविभाग में कार्यरत आनंद सिंह बिष्ट एवं सावित्री देवी के घर जन्म लेने वाले अजय मोहन बिष्ट चार भाइयों बड़े मानेंद्र, छोटे शैलेन्द्र व सबसे छोटे महेंद्र में दूसरे नम्बर के हैं। पुष्पा देवी, कौशल्या देवी, शशि देवी तीन बहनें भी उनकी हैं। योगी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा आधारिक विद्यालय ठांगर व जूनियर हाईस्कूल ठांगर से पूर्ण की। इस दौरान घर पर सभी प्रकार के कायरे में हाथ बंटाने वाले योगी आदित्यनाथ ने तब खेती जग्वाली से लेकर गाय बछिया चुगाने खेती कार्य आदि में परिवार का साथ दिया। पिताजी भी अधिकांशत: टौंस वन प्रभाग, भिलंगना प्रभाग आदि समेत टिहरी में तैनात थे। कक्षा नौवीं की शिक्षा जनता इण्टर कॉलेज चमकोटखाल से लेने के बाद वे दसवीं कक्षा हेतु गजा टिहरी पिताजी के साथ चले गये। ग्यारहवीं व बारहवीं कक्षा भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज ऋषिकेश से प्राप्त की। आध्यात्मिक नगरी का प्रभाव योगी के विचारसम्मत हुआ और उन्हें यहां से मन ही मन भगवा रंग की आभा सराबोर करने लगी। स्नातक बीएससी की शिक्षा राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार से शुरू हुई और अपने इस शिक्षण काल को छात्र राजनीति के रूप में आजमाने की पुरजोर कोशिश की। यद्यपि उन्होंने पूर्णत: सफलता विजय रूप में ना मिली हो लेकिन राज और नीतियां उनके मनोमष्तिष्क पर विचरण करती रहीं। राग, द्वेष, समाजनीति, राजनीति, कूटनीति की शिक्षा लेना उनके लिए चुनौती बन गई।
कुछ समय ऋषिकेश में गुजारने पर उन्होंने गोरक्षपीठाधीर महन्त अवैद्यनाथ से मुलाकात की और उनके साथ हुई दो तीन मुलाकातों के उपरांत स्वयं भी गोरखपुर जाने की इच्छा व्यक्त की। किसी तरह घर से अनुमति के बाद गोरखपुर पहुंचे। जबकि मां-पिताजी ने सोचा कि यूं ही कुछ दिन घूमने गए होंगे। विधि विधान को तो और ही मंजूर रहा जब घर पर योगी रूप में भिक्षा निमित्त पहुंचे तो घर पर सन्नाटा पसरा रहा। मनाने की कोशिश भी हुई परन्तु वह मन तो आस्त होकर भगवे में समा गया था। मां, पिता परिजनों से विदा लेकर अजय मोहन बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बने व मात्र सताईस वष्रायु में गोरखपुर से सांसद निर्वाचित हुए। लगातार सांसद बनने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिन्दू युवा वाहिनी, बजरंग दल, योगी समर्थक आदि दल जनरक्षा में गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ की वाहवाही होने लगी।
 निरन्तर परिश्रम, धर्म कर्म और राष्ट्र भक्ति को आत्मसात कर कर्तव्य पथ को देश समाज सेवा में न्योछावर योगी आदित्यनाथ संसद से लेकर सड़कों तक, गांव गांव, शहर शहर ,देश विदेश में अपनी अलग पहचान बनायी। धर्म, कर्तव्य परायणता, देशभक्ति पर जब भी वे बोलते तो किसी के भी प्रतिवाद की हिम्मत नहीं होती। अपनी मातृभूमि से अगाध लगाव व उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु योगी आदित्यनाथ द्वारा यमकेर क्षेत्र में महायोगी गुरु गोरक्षनाथ महाविद्यालय की स्थापना बिथ्याणी में माह जून वर्ष 1997 में की। जिसके प्रथम मुख्य संरक्षक महन्त अवैद्यनाथ बने। इसके संचालन हेतु शिक्षा समिति बनाई गई जिसके तहत अगस्त वर्ष 1998 से शिक्षण कार्य शुरू हुआ। महाविद्यालय निर्माण व कुशल संचालन की व्यवस्था की गई। समिति में स्थानीय प्रतिनिधि व प्रबुद्ध लोगों को रखा गया।
क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने में उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट सेवानिवृत्त वन क्षेत्राधिकारी का सहयोग रहा। जिनके प्रयासों से 26 मई 2005 को महाविद्यालय को हेमवती नंदन बहुगुणा वि विद्यालय से सम्बद्धता मिली। साथ ही पिता आनंद सिंह बिष्ट की सक्रिय सहभागिता व क्षेत्र को उच्च शिक्षा से जोड़ने हेतु 27 सितम्बर वर्ष 2018 में उत्तराखंड सरकार से मान्यता प्राप्त हुई और यह प्रबन्धकीय संस्थान राजकीय महाविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। जो वर्तमान में सात विषय कला स्नातक के साथ गतिमान है।
इसी संस्थान में अपनी सेवाएं देते आ रहे बड़े भाई मानेन्द्र सिंह बिष्ट व महेन्द्र सिंह बिष्ट ने पिता के साथ महाविद्यालय को उन्नति के शिखर तक पहुंचाने में कोरकसर न छोड़ी वहीं भाई शैलेन्द्र देशरक्षा में भारतीय सेना में तैनात हैं। स्वयं योगी आदित्यनाथ के पिता विगत वर्ष चिरनिन्द्रालीन जरूर हो गये हैं लेकिन इस लौ को चिरकाल तक पीढ़ियों का भावासृमरण होता रहेगा।
वर्ष 2000 से 2005 तक बतौर सहायक आचार्य पद पर कार्यरत रहे डॉ. अम्बिका प्रसाद ध्यानी का कहना है कि योगी आदित्यनाथ जब महाविद्यालय भवन का उद्घाटन करने वर्ष 2004 में अपने सहयोगी देवीपाटन के महन्त कौशलेंद्र नाथ के साथ पधारे तो उनके स्वागतोत्सुक सम्पूर्ण क्षेत्र वासियों, नाते-रिश्तेदारों , ग्रामीणों का मिलना भावुकता से परिपूर्ण था। अपने अभिभाषण में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पितृऋण से लेशमात्र मुक्त तो हुआ जा सकता है लेकिन वहीं मातृऋण चुका पाना असम्भव है, इसलिए इन ऋणों से उऋण होने के प्रयास में शिक्षा रूपी दीपक प्रज्वलित हो सके ताकि अनेक आगन्तुक पीढ़ियों का जीवन खुशहाल हो सके इस ऐवज में यह प्रयास किया है और प्रभु .पा होगी जरूर सफल होगा।

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