G-KBRGW2NTQN केदारनाथ से पहले भैरवनाथ को दी जाती है पहली पूजा  – Devbhoomi Samvad

केदारनाथ से पहले भैरवनाथ को दी जाती है पहली पूजा 

केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद भैरवनाथ करते हैं केदारपुरी की रक्षा
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा का विधिवत आगाज हो गया है। केदारनाथ की पूजा से पहले केदारनाथ के क्षेत्र रक्षक के रूप में पूजे जाने वाले भैरवनाथ की पूजा का विधान है। मान्यता है कि केदारनाथ धाम में जब कपाट बंद होते हैं तो छह माह तक भैरवनाथ ही केदार मंदिर सहित सम्पूर्ण केदारपुरी की रक्षा करते हैं, इसलिये जब शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेर मंदिर ऊखीमठ से बाबा केदार की डोली रवाना होती है तो पहले दिन भैरवनाथ की पूजा की जाती है और फिर यात्रा का श्रीगणोश होता है।
भैरवनाथ भगवान को बाबा केदार के क्षेत्ररक्षक एवं अग्रवीर के रूप में पूजा जाता है। केदार बाबा की पूजा से पहले भैरवनाथ की पूजा का विधान है। केदारनाथ मंदिर से डेढ़ किमी की दूरी पर भगवान भैरवनाथ का मंदिर स्थित है। भले ही केदारनाथ के कपाट प्रत्येक वर्ष खोल दिये जाते हैं, लेकिन केदारनाथ की आरती तब तक नहीं होती है जब तक भैरवनाथ के कपाट नहीं खोल दिये जाते हों। केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद शनिवार या फिर मंगलवार को भैरवनाथ के कपाट खोल दिये जाते हैं। भैरवनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद भगवान केदारनाथ की आरती शुरू होती है। साथ ही भगवान को भोग भी लगाया जाता है। इसी प्रकार केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने से पहले भगवान भैरवनाथ के कपाट बंद किये जाते हैं। भैरवनाथ के कपाट खोलने या बंद करने के लिये तिथि तय नहीं की जाती है। कपाट खुलने के बाद शनिवार या मंगलवार और कपाट बंद होने की तिथि से पहले पड़ने वाले शनिवार या मंगलवार को भैरवनाथ के कपाट खोले और बंद किये जाते हैं।
केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये जब बंद होते हैं तो भगवान भैरवनाथ की भी शीतकालीन गददीस्थल में नित्य पूजा होती है। केदारनाथ की डोली के शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेर मंदिर उखीमठ से धाम रवाना होने के पहले दिन भैरवनाथ की विशेष पूजा-अर्चना होती है।
मान्यता है कि शीतकालीन गददीस्थल में होने वाली पूजा के बाद भैरवनाथ केदारपुरी के लिये रवाना हो जाते हैं। केदारपुरी की रक्षा और बाबा केदार के अग्रवीर होने के नाते बाबा केदार से पहले की पूजा भैरवनाथ को दी जाती है। केदारनाथ धाम जाने वाले लाखों भक्त भैरवनाथ के दर्शन करके भी पुण्य अर्जित करते हैं। केदारनाथ धाम से डेढ़ किमी दूरी पर भैरवनाथ का मंदिर स्थित है। यहां एक शिला पर भैरव मूर्तियां हैं। केदारनाथ के पुजारी ही यहां की पूजाएं संपंन करते हैं।

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