राज्य सरकार को आठ सप्ताह का समय दिया
नैनीताल। नैनीताल उच्च न्यायालय ने 2016 की विनियमितकरण नियमावली के निरस्त होने के बाद भी सीधी भर्ती के पदों पर बने हुए 176 असिस्टेंट प्रोफेसरों समेत विभिन्न विभागों के करीब सात सौ कामिकरे के मामले में राज्य सरकार को विधि अनुसार याचिका निस्तारित करने के आदेश जारी कर दिया है। इसके लिए राज्य सरकार को आठ सप्ताह का समय दिया है। इस आदेश के बाद नियुक्ति पाए कार्मिकों के फिर से संविदा में तैनात करने की संभावना बढ़ गई है। चूंकि न्यायालय पहले ही 2016 की विनियमितकरण नियमावली को अवैध घोषित कर चुका है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तेवाड़ी की एकलपीठ ने हल्द्वानी निवासी हिमांशु जोशी की एक याचिका की सुनवाई के बाद जारी किया है।
गौरतलब है कि शासन ने विनियमितीकरण नियामवली 2016 के आधार लगभग 700 कार्मिकों को विनियमित किया है। इसमें उच्च शिक्षा विभाग में समूह क के पदों में 30 दिसम्बर 2016 को 176 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को विनियमित किया था। इसके बाद हिमांशु जोशी एवं अन्य द्वारा विनियमितीकरण नियामवली,2016 को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। तब न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने विनियमितीकरण नियमावली को निरस्त कर दिया था। इस निर्णय के बाद कार्मिक विभाग ने 7 जनवरी 2019 को संशोधित नियामवली 2018 बनाई। इस विनियमितीकरण नियामवली के आधार पर विनियमित कर्मिकों के पदों को रिक्त मानते हुए संगत सेवा नियमावली के आधार पर भरने के साथ -साथ विनियमित कार्मिकों को 10 नंबर वेटेज देने का प्राविधान किया गया।