प्राथमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच को सरकार ने मांगा डेढ़ साल का वक्त
नैनीताल। शिक्षा विभाग से जुड़े नौकरशाहों ने राज्य भर के प्राथमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के दस्तावेज जांचने के लिए पूरे डेढ़ साल का वक्त मांगा है। इस बात का खुलासा राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए एक हलफनामें में हुआ है। नैनीताल उच्च न्यायालय ने इस दलील को ठुकरा दिया है। न्यायालय ने हर हाल में तीन सप्ताह में सभी अध्यापकों के दस्तावेजों की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इस ताजा आदेश के बाद फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति पाए अध्यापक,नियुक्ति देने वाले अफसरों में खलबली मचनी शुरू हो गई होगी। उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजो के आधार पर नियुक्ति पाए गए करीब साढ़े तीन हजार अध्यापकों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि प्रदेश सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच तीन सप्ताह में कराकर पूरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।
सोमवार को यह आदेश स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खंडपीठ ने जारी किया है। इसके साथ ही अगली सुनवाई दो नवम्बर की तिथि नियत की है। इस मामले में पिछली सुनवाई पर न्यायालय ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को जिला, ब्लाक, और तहसील स्तर पर सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करने का शपथपत्र पेश करने को कहा था।