उमेश शर्मा व अन्य के खिलाफ दायर राजद्रोह का मुकदमा खारिज
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पत्रकार उमेश शर्मा व अन्य के खिलाफ राजद्रोह के मामले में राज्य सरकार द्वारा दर्ज एफआईआर को निरस्त करते हुए मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई। मामले के अनुसार उमेश शर्मा व अन्य की तरफ से सोशियल मीडिया में एक व्यक्ति, उनकी पत्नी के खिलाफ एक न्यूज डाली गई थी। इसे गलत मानते हुए उनके खिलाफ आईपीसीकी धारा 420, 467, 468, 469, 471 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया था। बाद में सरकार की तरफ से इन लोगों के खिलाफ राजद्रोह का भी मुकदमा दायर किया गया था। मंगलवार को एकलपीठ ने पत्रकार व साथियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करते हुए फेसबुक पर पत्रकार उमेश द्वारा मुख्यमंत्री पर लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच करने के आदेश दिए हैं।
मामले के अनुसार एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे के अनुसार उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में खबर चलाई थी कि प्रो हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डा सविता रावत के खाते में नोटबन्दी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने पैसे जमा किये और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा गया। इस वीडियो में डा सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया है। रिपोर्टकर्ता के अनुसार ये सभी तथ्य असत्य हैं और उमेश शर्मा ने बैंक के कागजात कूटरचित तरीके से बनाये हैं। उसने उनके बैंक खातों की सूचना गैर कानूनी तरीके से प्राप्त की है। इस बीच सरकार ने आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर भी लगा दी थी।
उमेश शर्मा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिये हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अन्य ने पैरवी करते हुए कहा कि नोटबंदी के दौरान हुए लेनदेन के मामले में उमेश शर्मा के खिलाफ झारखंड में मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमें वे पहले से ही जमानत पर हैं। इसलिये एक ही मुकदमे के लिये दो बार गिरफ्तारी नहीं हो सकती जबकि उनके खिलाफ दर्ज गैंगस्टर एक्ट के बारे में सरकार हाईकोर्ट में कोई जबाव नहीं दे सकी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल वरिष्ठ अधिवक्ता, श्याम दीवान वरिष्ठ अधिवक्ता, पीएस पटवालिया वरिष्ठ अधिवक्ता, रुचिरा गुप्ता डिप्टी एडवोकेट जनरल, रामजी श्रीवास्तव व नवनीत कौशिक ने अपना पक्ष रखा।