कमलेर मंदिर सूनी गोद भरते हैं भगवान कमलेर महादेव
श्रीनगर। ऐतिहासिक एवं पौराणिक बैकुंठ चतुर्दशी पूर्व पर पौराणिक कमलेर महादेव मंदिर मे खडे दिये अनुष्ठान का आयोजन किया गया। गोधूलि बेला पर कमलेर मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान प्रारंभ हुआ। मंहत आशुतोष पुरी ने गोधूलि बेला पर निसंतान दंपतियों को श्रीफल दे कर अनुष्ठान का शुभारंभ कराया। निसंतान दंपति रात भर जलते दीये को हाथ में लेकर खड़े-खड़े भगवान शिव की आराधना करेंगे। रविवार को तड़के अलकनंदा में दीपदान कर स्नान के बाद मंहत दंपतियों को आशीर्वाद देकर पूजा संपन्न करेंगे। मान्यता है कि खड़ा दिया अनुष्ठान से निसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति होती हैं। शनिवार को कमलेर मंदिर में चंडीगढ़, लखनऊ, मुजफ्फरनगर, देहरादून, दिल्ली, मेरठ सहित देश के विभिन्न शहरों से 125 से अधिक निसंतान दंपति अनुष्ठान के लिए पहुंचे। हालांकि 130 निसंतान दंपतियों ने खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए पंजीकरण कराया था। मंहत आशुतोष पुरी ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए मंदिर प्रबंधन ने भंडारे की व्यवस्था भी की है।
मंदिर में जुटे दीप प्रज्जवलित को पहंचे श्रद्धालु : परिवार की सुख समृद्धि की कामना के लिए शहर और आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालु कमलेर मंदिर में पहुंचे थे। श्रद्धालु मंदिर में दीप प्रज्वलन करने के लिए लोग सुबह से ही कतार में खडे दिखे। श्रद्धालु यहां पूरे वर्ष भर के लिए 365 बत्तियां प्रज्ज्वलित कर सुख शांति की कामना करते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते मदिर परिसर में श्रद्धालुओं को मास्क पहुंनने के बाद ही प्रवेश दिया गया। इस दौरान सभी लोगों को सोशल डिस्टिेंस बनाए रखने व मास्क का प्रयोग करने की अपील भी गई। साथ ही भीड़ को व्यवस्थित करने में पुलिस प्रशासन तैनात रहा
यह है मान्यता
मंदिर के मंहत आशुतोष पुरी बताते हैं कि देव असुर संग्राम के दौरान भगवान विष्णु ने यहां भगवान शिव की तपस्या की थी। शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र दिया। इस पूजा को देख रहे निसंतान दंपति ने शिव से संतान का वरदान मांगा। माता पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान दे दिया। तब से मान्यता है कि जो भी चतुर्दशी पर्व के दौरान कमलेर मंदिर में शिव को प्रसन्न करने के लिए खड़ा दिया अनुष्ठान करता है उसे संतान प्राप्ति होती है।