देहरादून। शहर के कई निजी अस्पताल व मेडिकल कालेज चिकित्सालय प्रबंधन अभ्यर्थियों को अनुभव प्रमाण पत्र देने मे आनाकानी कर रहे हैं। वह भी तब जबकि अभ्यर्थियों द्वारा इन अस्पतालों व मेडिकल कालेज में डेढ़-दो साल तक कार्य किया गया है। इस मामले की शिकायत भाजयुमो से जुड़े कार्यकर्ताओं ने बृहस्पतिवार को जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अनूप डिमरी से की है। भाजयुमो के पूर्व महानगर महामंत्री राजेश रावत से चंद्रनगर स्थित सीएमओ कार्यालय पहुंचे कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस मामले में ठोस कदम उठाकर संबंधित अस्पतालों को दिशा-निर्देश जारी किए जाए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि भाजपा नेतृत्व वाली राज्य सरकार राज्य के प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं को अधिक संख्या में रोजगार दे रही है। समूह ग के कई पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में भी स्टाफ नर्स के कई रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। नर्सिग के पदों पर आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को पूर्व में किसी अस्पताल में कार्य करने का अनुभव प्रमाण पत्र जो मांगा जा रहा था उसे अब संशोधित कर दिया गया है। कहा कि आश्चर्य इस बात की है कि कई अभ्यर्थियों द्वारा प्राइवेट अस्पतालों व मेडिकल कालेज चिकित्सालयों में डेढ़-दो साल तक कार्य किया गया है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा उन्हें कार्य अनुभव प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है। कहा कि सरकारी नौकरी के अलावा प्रशिक्षित बेरोजगारों को अपने अथवा दूसरे राज्य में भी प्राइवेट संस्थानों में नौकरी के लिए आवेदन करना होता है। जिसके लिए भी अनुभव प्रमाण पत्र जरूरी होता है। उन्होंने सीएमओ से शिकायत की है कि श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल व हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट जैसे बड़े अस्पताल भी अभ्यर्थियों को अनुभव प्रमाण पत्र देने में आनाकानी कर रहे हैं। इससे प्रशिक्षित युवाओं को नौकरी के लिए आवेदन करने से वंचित रहना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की है कि इस संर्दभ में संबंधित अस्पताल प्रबंधनों को उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाए। ताकि किसी भी प्रशिक्षित युवा-युवती को आवेदन करने से वंचित न रहना पड़े।