होटेलियर्स के सुरक्षित भविष्य की गारंटी दे सरकार : मोहित डिमरी
रुद्रप्रयाग। होटल इंडस्ट्री में काम कर रहे पहाड़ के युवाओं के सुरक्षित भविष्य को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता मोहित डिमरी ने मुखरता से आवाज उठाई है। उन्होंने बेरोजगार हुए होटेलियर कर्मियों को 15 हजार रुपए कोरोना भत्ता देने और पहाड़ में ही उन्हें रोजगार देने के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की है। उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि कुछ दिन पहले उन्हें मुम्बई के एक होटल में काम कर रहे प्रदीप नाम के एक युवक का फोन आया था। उस युवक ने मायूस होकर कहा कि फिर से लॉकडाउन की स्थिति बन गई है। होटल मालिक उन्हें घर भेज रहे हैं। सैलरी भी पूरी नहीं मिल रही है। लॉकडाउन के बाद घर आये तो सोचा अपने पहाड़ में ही रोजगार करेंगे। जब सरकार ने रोजगार की व्यवस्था नहीं कि तो फिर से वापस मुम्बई लौटना पड़ा। अब फिर से घर आना पड़ रहा है। लेकिन किस मुंह से घर आये। बच्चों की फीस देने के लिए पैसे नहीं हैं। कमरे का किराया भी नहीं दे पा रहे हैं। सब्जी-राशन की भी उधारी बढ़ती जा रही है। बच्चों के साथ ही माता-पिता की जिम्मेदारी भी है। कहीं से कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है।ष्
यह कहानी सिर्फ प्रदीप की नहीं है, उत्तराखंड के उन लाखों युवाओं की है, जो होटल इंडस्ट्री में काम करते हैं।इनके सुरक्षित भविष्य को लेकर अभी तक सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया। आज देश ही नहीं विदेश में भी उत्तराखंड के होटेलियर कर्मचारियों की साख है। किसी भी होटेल या रेस्टोरेंट में चले जाइये, वहां के स्टॉफ में उत्तराखण्ड का कोई न कोई व्यक्ति जरूर मिलेगा। जिसमें मुख्य रूप से शेफ, मैनेजर, हेल्पर शामिल हैं। कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने खुद के होटेल और रेस्टोरेंट खोले हुए हैं। पूरी होटल इंडस्ट्री में पचास प्रतिशत लोग उत्तराखंड के गढ़वाल-कुमाऊं से हैं। एक बार फिर कोरोना के कारण होटल इंडस्ट्री पर सबसे अधिक मार पड़ी है। ऐसे में हमारे लाखों होटेलियर कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। इनके सामने अपने परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है। अब इन्हें समझ नहीं आ रहा है कि करें तो करें क्या। ऐसे में सरकार को होटेलियर कर्मियों की मदद के लिए रास्ता निकालना चाहिए। उन्हें पहाड़ में ही रोजगार मिले, इसके लिए ठोस नीति बननी चाहिए। बेरोजगार हुए प्रत्येक होटेलियर भाई को कम से कम पंद्रह हजार रुपए कोरोना भत्ता दिया जाय। जिससे वह अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर सके।