देहरादून। म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार तैयार है। सचिव स्वास्थ्य अमित सिंह नेगी ने कहा कि ऐसे लोग जो दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं और अनियंत्रित मधुमेह, स्टेरायड के अधिक इस्तेमाल से इम्युनिटी कमजोर होने या अधिक समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीज फंगल इंफेक्शन के लिए संवेदनशील होते हैं। जागरूकता और रोग की जल्दी पहचान फंगल इन्फेक्शन को फैलने से रोक सकता है। ब्लेक फंगस के लिए आवश्यक दवाओं का प्रबंध किया जा रहा है। साथ ही डिसेंट्रलाइज्ड कोविड केयर सिस्टम लागू किया जा रहा है। इसके तहत हर ब्लॉक्स में एक कोविड केयर सेंटर स्थापित किए जाएंगे। सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकार वार्ता करते हुए सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि काफी समय बाद हुआ कि कोरोना संक्रमण मामलों से रिकवरी ज्यादा आई है। हमारा यही प्रयास रहेगा कि हम इसी तरह की स्थिति बनाकर रखें । उन्होंने बताया कि पिछले एक महीने में 2600 ऑक्सीजन बेड, 678 आईसीयू बेड और 192 वेंटिलेटर बढ़ाए गए हैं। आज हमारे पास ऑक्सीजन सपोर्ट बेड 6000, आईसीयू बेड 1495, वेंटिलेटर 983, ऑक्सीजन सिलेंडर 10000 से अधिक और ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर 1500 से अधिक हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में ऑक्सीजन मैनेजमेंट भी बेहतर है। अभी तक 180 मीट्रिक टन ऑक्सीजन बाहर से प्राप्त हुई है। साथ ही आज जो ट्रेन आने वाली है, उससे 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और आएगी, जिसकी सभी जनपदों के अस्पतालों में सप्लाई जारी है। हम ऑक्सीजन का रिजर्वस भी बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा नई व्यवस्था डिसेंट्रलाइज्ड कोविड केयर सिस्टम लागू की जा रही है, जो शहरी-ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी लागू होगी। इसके लिए विभिन्न चरणों में प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके तहत हर ब्लॉक्स में एक कोविड केयर सेंटर स्थापित होंगे। साथ ही ब्लॉक में एक कंट्रोल रूम भी होगा, जिसके लिए मैन पॉवर की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही हमारा प्रयास रहेगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टेस्टिंग लैब भी हो, जो गांव-गांव जाकर लोगों को सैंपलिंग की व्यवस्था प्रदान करे। उन्होंने कहा कि हमारा फोकस प्रीवेंशन पर है। उन्होंने बताया कि हल्द्वानी और ऋषिकेश में बन रहे 500 बेड के अस्पतालों में 25 ऑक्सीजन सपोर्टेड व आईसीयू बेड बच्चों के लिए आरक्षित किए जाएंगे। वैक्सीनेशन के संबंध में उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त वैक्सीन है और लगातार 18 वर्ष से अधिक और 45 वर्ष से अधिक उम्र वालों को वैक्सीनेशन किया जा रहा है। वैक्सीन लगवाने के प्रति लोगों में काफी उत्साह भी देखा जा रहा है।