G-KBRGW2NTQN रैनी आपदा पर राज्य तथा केंद्र सरकार को नोटिस – Devbhoomi Samvad

रैनी आपदा पर राज्य तथा केंद्र सरकार को नोटिस

नैनीताल। चमोली ज़िले के रैणी व तपोवन क्षेत्र में 7 फरवरी को अाई भीषण तबाही को लेकर दायर एक जनहित याचिका को आज स्वीकार करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकारों को नोटिस ज़ारी कर 20 जून तक अपना पक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। याचिका में नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन, मौसम वन एवं पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भारत सरकार, केंद्र व राज्य सरकारों के आपदा प्रबंधन विभागों समेत कुल 11 प्रतिवादी बनाए गए हैं।
उत्तराखंड में जन आंदोलन से जुड़े एडवोकेट पी. सी. तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. एस. चौहान एवं न्यायमूर्ति ए. के. वर्मा की पीठ ने आज ये आदेश ज़ारी किए।
याचिका में 7 फरवरी को अाई आपदा में चिपको आंदोलन से जुड़े ऐतिहासिक गांव रैणी एवं तपोवन विष्णु प्रयाग जल विद्युत परियोजना में हुई तबाही में मारे गए निर्दोष लोगों को मुआवजा देने एवं उनकी आपराधिक लापरवाही के लिए उनपर गैर इरादतन हत्या का वाद चलाने का भी अनुरोध किया गया है।
याचिका में उत्तराखंड में बनने वाली जल विद्युत परियोजना में दुर्घटना की पूर्व सूचना देने की व्यवस्था (अर्ली वाॉर्निंग सिस्टम लगाने), आपदाओं के समय बचाव की सुदृढ़ व्यवस्था सुनिश्चित करने, परियोजना स्थल पर काम करने वाले लोगों को इस हेतु प्रशिक्षण देने, ग्लेशियरों की सतत मॉनिटरिंग करने की भी मांग की है।
याचिका में कहा गया कि उत्तराखंड पर्यावरणीय दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है इस लिए आवश्यक है कि यहां चल रही/ बन रही जल विद्युत परियोजनाओं के प्रभावों के आंकलन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए। इस समिति में योजना से प्रभावित होने वाले समुदायों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए।
याचिका मुंबई हाईकोर्ट के अधिवक्ता क्रांति एवं उत्तराखंड हाईकोर्ट की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी द्वारा दायर की गई है। हाईकोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 25 जून की तिथि नियत की है।
ज्ञातव्य है कि रैणी तपोवन में अाई इस आपदा की गहन पड़ताल के लिए अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक तथ्यानिवेशी (फैक्ट फाइंडिंग) दल फरवरी में ही प्रभावित क्षेत्र गया था।रैनी आपदा पर राज्य तथा केंद्र सरकार को नोटिस
नैनीताल।
चमोली ज़िले के रैणी व तपोवन क्षेत्र में 7 फरवरी को अाई भीषण तबाही को लेकर दायर एक जनहित याचिका को आज स्वीकार करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकारों को नोटिस ज़ारी कर 20 जून तक अपना पक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। याचिका में नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन, मौसम वन एवं पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भारत सरकार, केंद्र व राज्य सरकारों के आपदा प्रबंधन विभागों समेत कुल 11 प्रतिवादी बनाए गए हैं।
उत्तराखंड में जन आंदोलन से जुड़े एडवोकेट पी. सी. तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. एस. चौहान एवं न्यायमूर्ति ए. के. वर्मा की पीठ ने आज ये आदेश ज़ारी किए।
याचिका में 7 फरवरी को अाई आपदा में चिपको आंदोलन से जुड़े ऐतिहासिक गांव रैणी एवं तपोवन विष्णु प्रयाग जल विद्युत परियोजना में हुई तबाही में मारे गए निर्दोष लोगों को मुआवजा देने एवं उनकी आपराधिक लापरवाही के लिए उनपर गैर इरादतन हत्या का वाद चलाने का भी अनुरोध किया गया है।
याचिका में उत्तराखंड में बनने वाली जल विद्युत परियोजना में दुर्घटना की पूर्व सूचना देने की व्यवस्था (अर्ली वाॉर्निंग सिस्टम लगाने), आपदाओं के समय बचाव की सुदृढ़ व्यवस्था सुनिश्चित करने, परियोजना स्थल पर काम करने वाले लोगों को इस हेतु प्रशिक्षण देने, ग्लेशियरों की सतत मॉनिटरिंग करने की भी मांग की है।
याचिका में कहा गया कि उत्तराखंड पर्यावरणीय दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है इस लिए आवश्यक है कि यहां चल रही/ बन रही जल विद्युत परियोजनाओं के प्रभावों के आंकलन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए। इस समिति में योजना से प्रभावित होने वाले समुदायों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए।
याचिका मुंबई हाईकोर्ट के अधिवक्ता क्रांति एवं उत्तराखंड हाईकोर्ट की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी द्वारा दायर की गई है। हाईकोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 25 जून की तिथि नियत की है।
ज्ञातव्य है कि रैणी तपोवन में अाई इस आपदा की गहन पड़ताल के लिए अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक तथ्यानिवेशी (फैक्ट फाइंडिंग) दल फरवरी में ही प्रभावित क्षेत्र गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *