नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रोडवेज कर्मचारियों को वेतन ना देने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव, वित्त सचिव एवं परिवहन सचिव सहित परिवहन निगम से कल यानी शनिवार को व्यक्तिगत रूप से वीडियो कान्फ्रेंसिंग से उपस्थिति रहने को कहा है। न्यायालय ने पूछा है कि आखिर रोडवेज कर्मचारियों को वेतन भत्ते सहित अन्य सुविधाएं क्यों नही दी जा रही हैं ?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है, और हड़ताल करने पर उनके खिलाफ नियमविरुद्ध तरीके से एस्मा लगाने जा रही है। सरकार व परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही है, न उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है। उनको पिछले चार साल से ओवर टाइम की धनराशि भी नहीं दी जा रही है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के देयकों का भुगतान भी नहीं किया गया है। यूनियन का सरकार व निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है। उसके बाद भी सरकार एस्मा लगाने को तैयार है। साथ ही याचिका में कहा है कि सरकार ने निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है। साथ ही उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा भी निगम को 700 करोड़ रुपया देना है। इस वजह से निगम ना तो नई बसें खरीद पा रही है और ना ही बस में यात्रियों की सुविधाओं के लिए सीसीटीवी सहित अन्य सुविधाएं दे पा रही है।