बारिश का कहर, बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे समेत कई सड़कें बाधित
देहरादून। उत्तराखंड में बारिश का कहर जारी है. राज्य में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण पहाड़ी से मलबा आने से जगह-जगह मार्ग बाधित हो गए हैं। जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बीते दिन हो रही बारिश के कारण पहाड़ी से मलबा आने से बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे बाधित है।
प्रदेश में भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है और कई संपर्क मार्गों पर लगातार भूस्खलन हो रहा है। ं.रुद्रप्रयाग तहसील के निकट केदारनाथ हाईवे पर बार-बार चट्टान टूट रही है, जिस कारण यातायात प्रभावित हो रहा है और स्थानीय जनता की दिक्कतें बढ़ रही हैं। वहीं, बदरीनाथ हाईवे के सिरोबगड़ और नरकोटा में भूस्खलन होने से राजमार्ग बार-बार बंद हो रहा है, जिस कारण यहां पर भी लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतें हो रही हैं। रुद्रप्रयाग तहसील के निकट हाईवे पर चट्टान लगातार टूट रही है. जिस कारण आवागमन पूरी तरह से ठप है। एक बार फिर से हाईवे पर रुद्रप्रयाग तहसील के निकट चट्टान टूट गई है.शुक्रवार दोपहर को तहसील के निकट पहाड़ी से चट्टान टूटने पर राजमार्ग बंद हो गया था, जिसे खोलने में विभाग को 8 घंटे का समय लग गया और फिर बीती रात को यहीं पर पहाड़ी से हजारों टन मलबा और बोल्डर हाईवे पर गिर गया है। जेसीबी मशीनें हाईवे को खोलने का कार्य कर रही हैं। सुबह से हाईवे पर फंसे लोग मलबे के ऊपर से ही आवाजाही कर रहे हैं।
वहीं, रुद्रप्रयाग जिले में जगह-जगह पहाड़ियां दरक रही हैं। केदारनाथ हाईवे तहसील के पास पहाड़ी से बोल्डर और मलबा आने से मार्ग देर रात से बंद है। मार्ग बंद होने से कई लोग बीच रास्ते में फंसे हुए हैं। जिसके चलते आसपास के इलाकों में आवश्यक सामग्री भी नहीं पहुंच पाई है। चमोली में देर रात हुई मूसलाधार बारिश से बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 07 पागलनाले में भारी मात्रा में सड़क पर मलबा आने से एक बार फिर हाईवे बाधित हो गया है। जिसके बाद दोनों तरफ सुबह से ही वाहनों की की लंबी कतारें लगी हुई है। हाईवे पर आए मलबे के बीच एक एम्बुलेंस भी फंसी रही। वहीं, एनएच के द्वारा हाईवे खोलने का कार्य जारी है।
बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए पागलनाला नासूर बन गया है, नाले के बार बार बन्द होने से यहां आये दिन पर्यटकों और स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। भूस्खलन के कारण यह आए दिन यह नाला बन्द होता रहा है। भूस्खलन अब बढ़कर सड़क से 2 किमी ऊपर तक चले गया है। जितना इस पागलनाला से मलबा हटाया जाता यह उतना ज्यादा पहाड़ी से मलबा आ दरकता है।