हेली लैडिंग व पार्किग के लिए अब जिलों की अनुमति की जरूरत नहीं
देहरादून। हैलीकाप्टर सेवाओं के लैंडिंग व पाकिर्ंग की आनलाइन अनुमति के लिए साफ्टवेयर शुरू हो गया है। इसके साथ ही अब हेली कंपनियां को लैंडिंग व पाकिर्ंग के लिए जिलाधिकारियों की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी और उन्हें यूकाडा से शुल्क चुकाकर सीधे अनुमति मिल जाएगी। इसके लिए शुल्क भी आनलाइन ही जमा कराया जायेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण के बोर्ड आफ डायरेक्टर की छठीं बैठक इसकी शुरुआत की गयी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हेली कंपनियों को लैडिंग व पार्किग को लेकर अब दिक्कतें नहीं आएगी। इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। यूकाडा के माध्यम से परमिशन सीधे उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण से मिलेगी। पहले इसके लिए संबंधित जिले से अनुमति लेनी पड़ती थी। अब जिलास्तरीय अधिकारियों को इसकी सिर्फ सूचना देनी होगी, परमिशन सीधे युकाडा से ही मिलेगी।
बैठक में निर्णय लिया गया कि उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण के वाणिज्यिक कार्यों के लिए एवं सिविल एविएशन के व्यवस्थित एवं सवार्ंगीण विकास के लिए एक कम्पनी का गठन किया जायेगा। सिविल एविएशन के वाणिज्यिक कार्यों के सम्पादन, नियंतण्रएवं नियामक की भूमिका निदेशालय स्तर से संपादित की जायेंगी। राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा एवं मेडिकल इमरजेंसी (हैली एंबुलेंस) की सुविधा के दृष्टिगत राजकीय वायुयान बी-200 के स्थान पर एक डबल इंजन एवं एक सिंगल इंजन हेलीकाप्टर क्रय करने पर भी आज की बैठक में सहमति बनी।