देहरादून। प्रदेश के नवनियुक्त राज्यपाल (सेवानिवृत्त) ले. ज. गुरमीत सिंह ने बुधवार को शपथ ग्रहण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उत्तराखंड में विकास की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि यह देवभूमि वीर शहीदों की धरती है। चारधाम के अतिरिक्त यह गंगा यमुना का मायका भी है। इस राज्य में अपार खनिज संपदा होने के साथ यहां लघु उद्योग लगाए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे उत्तराखंड की सेवा का अवसर मिला है, सैन्य परिवारों की यहां बहुलता है और हर घर से सैनिक है। उनका कहना था कि यह मेरी सेना की एक्सटेंडेड फैमिली है।राज्यपाल ने वीर सैनिकों की माताओं बहनों को नमन करते हुए कहा कि मैं उनके साथ रह कर उनके परिवारों की सेवा कर सकूं, यह अपना सौभाग्य मानता हूं।
श्री सिंह ने कहा कि उत्तराखंड के वीर शहीदों को जन्म देने वाली माता बहनों की कहानियां हम सब परिचित हैं, ऐसे में यहां के बच्चे सैनिक स्कूल एनडीए, फौज के लिए प्रेरित कर ओमेन अपार्टमेंट का नया अध्याय लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पूर्व सैनिकों के माता-पिता व परिवार यहां की स्वास्थ्य सेवा, पेंशन संबंधी निस्तारण, जीएसएस मेरी प्राथमिकता में हैं।उन्होंने कहा कि यहां चार धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ हैं, गंगा जमुना का मायका है। इसके अतिरिक्त नानकमत्ता साहब व हेमकुंड साहब ऐसे अनेक प्रसिद्ध धर्म स्थल हैं। यहां की भूमि पवित्र है। इस पवित्र भूमि की सेवा करने का मौका मेरा सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि आज राज्य प्राकृतिक खजाने से भरपूर है, यहां प्रति की अनुपम देन है, इसका सौंदर्य अलौकिक है, यहां से पर्यटन आधारित बिजनेस, कृषि, योग, आयुव्रेद, जैविक कृषि, खाद्य प्रोसेसिंग पर आधारित लघु उद्योग को बढ़ावा देकर इस इलाके में रोजगार के लिए इंटर्नशिप के आधार पर सिद्ध करने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है और उन्हें मुझसे जिस भी सहयोग की जरूरत होगी, मैं वह दूंगा।
राज्यपाल ने कहा कि समय तेजी से ट्रांसफार्म हो रहा है। यह टेकनोलजी का जमाना है, राज्य की दो अंतरराष्ट्रीय सीमाएं से लगा हैं। सड़क संपर्क, कनेक्टिविटी फुल टनल महत्वपूर्ण हैं। लिहाजा हमें समय के अनुसार नई इबारत लिखनी होगी। सभी को साथ लेकर भरसक प्रयास करने होंगे। रफ्तार से एक दूसरे के सहयोग से राज्य को आगे बढ़ाना प्रदेश व देश हित में होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य वासियों को जो अपेक्षा मुझसे है, मैं उस पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा। यह धरती सैनिक, संतों व विद्वानों की है। गुरु गो¨वद सिंह के तीन रूप थे। अगर उनका अध्ययन करें तो सोल्जर, सिंह व सौरभ हमें प्रदेश के सपूतों को सहज वह गुण देने होंगे। उन्होंने कहा – भारत के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा की याद आती है, तब मैं कश्मीर में था, उस स्थल पर जहां उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी थी, मैं उसे नमन करता था। उन्होंने कहा कि परमवीर चक्र विजेता कैप्टन कर्नल धन सिंह थापा को मेरा नमन व श्रद्धांजलि। वह हमारे परिवारों के सबसे बड़े गौरव थे। हमारे सैनिक परिवार से राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान और जिस प्रकार उन्हें सम्मानित किया गया उसमें 23 महावीर चक्र, 147 वीर चक्र व 6 अशोक चक्र, 19 कीर्ति चक्र व अन्य विजेताओं को भी मेरा नमन।