महिलाओं के लिए नौकरी में आरक्षण का विधेयक पेश
देहरादून। सदन में आज उत्तराखण्ड लोक सेवा ( महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) विधेयक, 2022 पेश किया गया। यह विधेयक वर्ष 2022 तक महिला नागरिकों के पक्ष में है और राज्य में लागू विद्यमान आरक्षण के अतिरिक्त लोक सेवा एवं पदों में क्षैतिज आरक्षण देने और उससे संबंधित या आनुषंगिक मामलों के लिए लाया गया है।
विधेयक का नाम उत्तराखण्ड लोक सेवा ( महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) अधिनियम, 2022 है। ‘क्षैतिज आरक्षण‘ से राज्य सरकार द्वारा समय समय पर जारी किए गए शासनादेश के अनुसार महिला अभ्यर्थियों को लोक सेवाओं और पदों में दिया गया क्षैतिज आरक्षण मिलेगा। इसका लाभ लेने वाली ऐसी महिला अभ्यर्थी होंगी, जिनका मूल अधिवास उत्तराखण्ड में है, परन्तु उसने अन्य कहीं का कोई स्थायी अधिवास प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है। अथवा भारत की ऐसी महिला नागरिक जिसका मूल अधिवास उत्तराखण्ड में नहीं है परन्तु उसने 20 नवम्बर 2001 या तत्समय प्रवृत्त अधिवास सम्बन्धी किसी अन्य शासनादेश के अनुसार उत्तराखण्ड में स्थायी अधिवास प्रमाण पत्र प्राप्त किया हो। लोक सेवाओं और पदों में उत्तराखण्ड राज्य में स्थायी अधिवासित महिला अभ्यर्थी को 24 जुलाई, 2006 तक 20 फीसद तथा उसके पश्चात् 30 फीसद आरक्षण दिया जायेगा। लोक सेवाओं और पदों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वगोर्ं, आर्थिक रूप से कमजोर वगोर्ं और अन्य श्रेणियों से संबंधित उत्तराखण्ड राज्य में अधिवासित महिला अभ्यर्थी के लिए क्षैतिज आरक्षण भर्ती के समय प्रवृत्त उत्तराखण्ड सरकार के आदेशों के अनुसार होगा, परन्तु यह राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर योग्य महिला अभ्यर्थी उपलब्ध न होने पर उन पदों को अग्रेनीत नहीं किया जायेगा, बल्कि समान श्रेणी के प्रवीणता क्रम में आने वाले योग्य पुरूष अभ्यर्थियों से भरा जा सकेगा।