G-KBRGW2NTQN जोशीमठ के राहत शिविरों में झूलता बचपन – Devbhoomi Samvad

जोशीमठ के राहत शिविरों में झूलता बचपन

चमोली। अब तक हाड़तोड़ मेहनत से बनाए गए आशियानों में जीवन गुजारने वाले लोग जोशीमठ की हाड़ कंपाने वाले ठंड में राहत शिविरों में अपना जीवन गुजार रहे हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि मौजूदा समय में तमाम प्रभावित बच्चों का बचपन राहत शिविरों में झूल रहा है।
दरअसल जोशीमठ में भू धंसाव की आपदा के कारण करीब 723 से अधिक मकानों पर दरारें पड़ गई हैं। इसके चलते प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को सुरक्षा के लिहाज से राहत शिविरों में शिफ्ट कर दिया है। राहत शिविरों में अधिकांश कि शोर भी अपने आशियानों को छोड़ कर जीवन गुजार रहे हैं। बच्चों को यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उनके साथ प्रकृति कौन सा क्रूर मजाक करने जा रही है। यही वजह है कि जोशीमठ के तमाम प्रभावितों पर संकट की तलवार लटकी पड़ी है। मौजूदा समय में जहां परिवार के संरक्षक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से हैरान परेशान हैं वहीं बच्चों को यह समझ ही नहीं आ रहा है कि वे किस सजा के बहाने राहत शिविरों में डेरा डालने को मजबूर हैं।
जोशीमठ का भविष्य मौजूदा आपदा से अंधकार में पड़ा है। इसके चलते लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले पा रही हैं। जोशीमठ के मूल वासिंदों के सामने अन्य घरों का विकल्प न होने के कारण उनकी दिनचर्या फिलहाल राहत शिविरों में ही चलनी है। हालांकि बाहरी लोगों द्वारा बनाए गए मकानों पर दरारें आने से उनके सामने अपने मूल गांवों में रहने का विकल्प भी मौजूद है। इसी के चलते तमाम लोग अपने दूसरे विकल्पों वाले आशियानों को भी निकल गए हैं।
मौजूदा समय में ज्यादातर लोगों की बसागत राहत शिविरों में ही कैद होकर रह गई है। संकट के इस दौर में वे भविष्य को लेकर हैरान परेशान होकर रह गए हैं। जिला प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से अस्थाई रू प से प्रभावितों को राहत शिविरों में ठहराया है। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर शिविर स्थापित किए गए हैं। पीपलकोटी में भी अस्थाई तौर पर राहत शिविर चिन्हित किए गए हैं। अब जबकि बारिश और वर्फबारी की चेतावनी भी अगले एक-दो दिनों बाद के लिए की गई है तो जोशीमठ के लिए आगामी दिन काफी चुनौती भरे होंगे। हालांकि अभी तक भी तमाम प्रभावितों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। मौजूदा समय में राजनेता जोशीमठ पहुंच कर पीड़ितों का दुख दर्द बयां कर रहे हैं। इस दौरान पीड़ितों के आंसू ढाढस बंधाने वालों को भी भावविह्वल कर रहे हैं। प्रभावितों की सुरक्षित स्थानों पर बसागत के लिए अभी बहुत बड़ी चुनौती सामने आने वाली है। फिलहाल तो डेंजर मकानों से लोगों को राहत शिविरों में जिंदगियों को बचाने के लिए कैंप करवाया जा रहा है। आगे की राह और भी कठिन है।

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