मंत्री के निर्देश के बाद निदेशक ने जारी किये आदेश
बंद होने वाले स्कूलों के बच्चे दूसरे स्कूलों में होंगे शिफ्ट
देहरादून। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी प्राइमरी स्कूलों के अस्तित्व पर संकट छाता जा रहा है। हालत यह है कि प्रदेश के लगभग 3000 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां पांच से कम बच्चे रह गये हैं। स्थितियों को देखते हुए सरकार ने इन्हें सख्ती से बंद करने का निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्री डा. धनसिंह रावत के निर्देश के बाद बृहस्पतिवार को शिक्षा निदेशक की ओर से इसके आदेश जारी कर दिये गये हैं।
इस आदेश में कहा गया है कि अगले शिक्षा सत्र से इन स्कूलों को हर हाल में बंद कर दिया जाए। अत्यधिक कम छात्र संख्या वाले अधिकतर स्कूल पर्वतीय में हैं। सरकार ने मैदानी इलाकों के लिए छात्र संख्या का मानक 10 रखा है, जहां इतनी संख्या में बच्चे नहीं होंगे उन्हें भी बंद कर दिया जाएगा। शिक्षा मंत्री के निर्देशों के अनुसार बंद होने वाले स्कूलों के छात्रों को नजदीकी स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा तथा इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक का भी ऐसे विद्यालयों में समायोजन होगा जहां छात्र संख्या अधिक हो। पहले भी सरकार की ओर से ऐसे स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया था और सैकड़ों स्कूल बंद किये गये थे।
वर्तमान में फिर से ऐसे स्कूलो की संख्या का अनुमान 3000 आंका गया है। इसका सबसे बड़ा कारण पलायन बताया जा रहा है।
पांच बच्चे से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का संचालन सरकार को काफी महंगा पड़ रहा है। एक शिक्षक, विद्यालय भवन व अन्य जरूरी सुविधाओं को जोड़ा जाए तो पांच से कम बच्चों पर प्रतिमाह एक लाख रुपये से अधिक का खर्च आ रहा है। जबकि बहुत सारे ऐसे विद्यालय भी हैं, जहां छात्र संख्या तो अच्छी है, लेकिन शिक्षक मानक के अनुसार नहीं हैं। कम छात्र संख्या पर विद्यालय चलाये जाने की वजह से सरकार उन विद्यालयों पर भी ध्यान नहीं दे पाती है, जहां छात्र संख्या अधिक है।
बहरहाल राज्य गठन के 22 साल बाद भी सरकारी शिक्षा पर लोगों का भरोसा नहीं जुट पा रहा है। शायद यही वजह है कि लोग अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भर्ती करने को प्राथमिकता देते हैं। जिसका सीधा प्रभाव सरकारी स्कूलों में घट रही छात्र संख्या के रूप में सामने आ रहा है।